कविता

शिक्षा

फूल खिलने से पहले न तोड़िए 

वरना मनभावन महक न आ पायेगी 

बच्चों को शिक्षित हर हाल में बनाईए

वरना राष्ट्र की नींव मजबूत न बन पायेगी 

हम अगर सो गए आलस में तो,

महज पछतावे के हाथ में कुछ न आएगा

तोड़कर बंधन अज्ञान के, नायक बन जाइए

छटेगा घना कुहरा भी, सूरज बन चमक जाइए

सीखते बस सीखते आगे ही आगे चलते जाइए

आयेगा अमृतकाल यह निश्चित मानिए 

अगर करो हर क्षण का सद्पयोग तुम तो,

कंगाली का काला घेरा टूटकर समृद्धि का सागर लहराएगा 

मेहनत और शिक्षा से खुलेंगे द्वार प्रगति के 

बस अच्छे कर्म ईमानदारी से अपने करते जाइए

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111