कविता

नींव

लक्ष्य बनें जीवन का ऊँचा , और ध्येय बन सके महान।
धीर और गंभीर बनें हम, युक्ति यही है बस श्रीमान ।।२।।

छोटी छोटी बातें जितनी, मन में हम ले आयेंगे ।
इसपर ध्यान नहीं देंगे, तो उतना ही घबरायेंगे ।।३।।

करना हो निर्माण भवन , तो नींव खोदनी पड़ती है।
एक मज़बूत नींव पर ही, एक बड़ी इमारत बनती है ।।४।।

व्यक्तित्व निर्माण हेतु हमको, भगीरथ प्रयास करना होगा ।
ज्ञान और चिन्तन , चरित्र, सुगठित सशक्त करना होगा ।।५।।

गहरी नींव भवन को जैसे, तूफ़ानों से बचाती है ।
आँधी व तूफ़ान के झटकों, को भी सह ले जाती है ।।६।।

साधना स्वाध्याय संयम सेवा जब जीवन में आ जाता है ।
सुद्धृढ़ मनोबल तब व्यक्तित्व का मज़बूत नींव बन जाता है ।।७।।

आयें गुरु की कृपा प्राप्तकर, हम अपना कल्याण करें ।
व्यक्तित्व की मज़बूत नींव पर, जीवन का उत्थान करें ।।८।।

— शशिकांत त्रिपाठी

शशि कान्त त्रिपाठी

इलाहाबाद बैंक से मुख्य प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त वाराणसी मो 96483087788 पता - गोपाल भवन सर्वेश्वरीनगर कालोनी तिलमापुर आशापुर वाराणसी २२१००७