शहर की सैर
गरमी का मौसम था दूर जंगल से एक चिड़ा और एक चिरैया उड़ते-उड़ते शहर में आ गए ।
शहर आग की तरह तप रहा था। सोन चिरैया ने चीनू चिड़े से कहा “तुम तो कहते थे शहर बहुत सुंदर है वहां तुम्हें अच्छा लगेगा । लेकिन यहां तो हर तरफ बिल्डिंग ही बिल्डिंग है घरों की छतों पर छज्जों पर गर्म हवा है। यहां हर तरफ ये गर्म हवा क्यों आ रही है?”
“सोन चिरैया! यहाँ रहने वाले लोगों ने घर को ठंडा करने के लिए एसी लगा रखे हैं। ऐसी प्रदूषण के साथ बाहर की ओर गर्म हवा फैंकते है। इसी वजह से अब घरों की छतों और छज्जों पर पंछी नहीं आते हैं। हमें जल्दी से कोई पेड़ तलाशना होगा।”
“चीनू चिड़ प्यास से मेरा गला सूख रहा है।”
“सोन चिरैया वो देखो दो बच्चे बालकनी में पानी का पात्र और दाना रख रहे हैं । चलो चलकर देखते हैं।”
दोनों ने एक साथ उड़ान भरी और पहुंच गए बालकनी में वहां दाना खाकर और पानी पीकर तृप्ति हो गई।
“इन लोगों ने अपने कमरों और बालकनी में इतने छोटे पौधे क्यों लगा रखे है? “हम इन पर बैठ भी नहीं पा रहे हैं।”
“इनके मंजिल वाले घर है जमीन पर नहीं है इसलिए इन्होंने गमले में पौधे लगा रखे हैं।”
“ये लोग पेड़ क्यों नहीं लगाते।”
“इन के पास जमीन पर जगह ही नहीं है ।”
“क्या ये नहीं जानते की इनकी वजह से तापमान बढ़ रहा है ?”
“बच्चों हम चलते हैं लेकिन तुम लोग अपनी बिल्डिंग के नजदीक जहां भी जगह मिले एक पेड़ जरुर लगाना।”
बाय बाय बच्चों फिर मिलेंगे पानी और दाना देने के लिए धन्यवाद।
— अर्विना गहलोत