रील ओर सेल्फी बनाने को शौक जानलेवा
सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट पाने के लिए वीडियो बनाकर एवं सेल्फी लेकर। जो की झरने, नदी, ऊंची इमारतों पर रिस्क लेकर अपलोड करने का अजीबो गरीब सनकी पन लोगों पर सवार है। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें लोग रील्स के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और कई तो हादसे का शिकार भी बन रहे हैं। पिछले वर्ष रूस में चार भारतीय मेडिकल छात्र नदी में डूबे, दो के शव मिले की खबर पढ़ी। रूस में सेंटपीटर्सबर्ग के पास वोल्कोव नदी के तेज बहाव में बह गए। सुझाव ये है कि प्रत्येक छात्र -छात्राओं को तैराकी आना चाहिए सरकार द्वारा इसको स्कुल-कॉलेज में अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके लिए तैराकी सिखाने वाले कुशल प्रशिक्षक की देखरेख में तैराकी सिखाई जाना चाहिए। तहसील स्तर पर तरणताल निर्मित किये जाना चाहिए। इसके होने से कम से कम स्वयं एवं दूसरों को डूबने से बचाया जा सकेगा। अक्सर कई बार ऐसा सुनने में आया कि नदी तालाब के पास सेल्फी लेते रहे और उनका साथी डूब गया ऐसी घटनाएं एवं आए दिन सेल्फी जैसे ऊँची मंजिल, नदियों, तालाबों, पहाड़ो, व्यस्तम मार्गो आदि पर सेल्फी लेने से दुर्घटनाओं की खबरें पढ़ने को आती रहती है । सेल्फी लेने में ध्यान बट सा जाता है। इसमें ध्यान वैसा ही बटता है जैसे पतंग उडाने पर कटी पतंग को पकड़ने के लिए, चलते वाहन पर कान और कंधे के बीच मोबाईल दबाकर सुनने आदि से भी ध्यान बट जाता और दुर्घटना घटित होती है। वर्तमान में सेल्फी खींचे जाने का चलन जोरों पर है। सुझाव है कि सेल्फी स्थल को देख परख करने के बाद ही सेल्फी खींचने का निर्णय लेवें, क्योकि कई क्षेत्रो में वर्षा होने से नदियों के गेट खोले जाते है। जिससे अचानक पानी बढ़ जाने से, और तालाबों में पैर फिसलने से गहरे पानी में जाने से दुर्घटना घटित होती है। वैसे तो प्रशासन की व्यवस्था रहती है। फिर भी स्वयं को सुरक्षित रखकर सेल्फी लेने हेतु अपना ध्यान रखे ताकि स्वयं और साथियों को दुर्घटनाओं का सामना होने से बचाया जा सके।
— संजय वर्मा ‘दृष्टि’