साड़ी
बहुत ही खूबसूरत लगती है कोई नारी,
जब पहनती है कोई साड़ी,
हर परिधान पर पड़ती है भारी,
जब पहनती है कोई साड़ी,
रंग गोरा हो या काला,
कद छोटा हो चाहे बड़ा,
हर रूप को निखारती है ये साड़ी,
पूरे जिस्म को ढकती है ये साड़ी,
लोगो की बुरी नजर से बचाती है साड़ी,
हर बला को दूर रखती है ये साड़ी ,
मां की ममता कहलाती है ये साड़ी,
बच्चो की पसीना पोछती है ये साड़ी,
लुका..छिपी के खेल में बच्चो का सहारा बनती है ये साड़ी ,
चूल्हे से बर्तन उतारने के काम आती
है ये साड़ी,
पल्लू से हवा दिलाने का काम करती है ये साड़ी,
हर परिधान पर पड़ती भारी,
जब पहनती है कोई नारी साड़ी
हर आभूषण शोभते है,
जब पहनती है कोई नारी साड़ी
चूड़ी की खन.. खन ,
और पायल की छन..छन ,
सबकी सबकी शोभा बढ़ाती हैं ये साड़ी,
स्त्रियां की मान बढ़ाती है ये साड़ी,
हर घर की मान कहलाती हैं ये साड़ी,
घूंघट की पहचान कहलाती है ये साड़ी,
विदेशो से मैं भी खूब पहचान बनी है साड़ी की,
वहां पर स्त्रियां बड़े ही मान से पहनती हैं साड़ी,
सबकी नजरों में खूबसूरत लगती है ये साड़ी,
बहुत ही खूबसूरत लगती है कोई नारी,
जब पहनती है कोई साड़ी ,
हर परिधान पर पड़ती है भारी,
जब पहनती है कोई नारी साड़ी,
खुबसूरत की बनती है मिशाल,
जब पहनती है कोई नारी साड़ी,
महफिल की भी बढ़ जाती है रौनक ,
जब पहनती है कोई नारी साड़ी
— रीना सोनालिका