कविता
सूरज दिखा रहा बढ़ते तेवर
वाहन छांव की तलाश मे
उसे डर है
कही रंग ना उड़ जाए
पसीने और लू से सना इंसान का
दिमाग सातवें आसमान पर
समस्या तो हर जगह है
मगर गर्मी से डूबकर
आवाज नहीं उठा पा रही
क्योकि सूरज ने उनके
कंठ सूखे कर रखे जो है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”