राजनीति

हिंदू आस्था पर आक्रामक राहुल गांधी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में विकसित भारत के संकल्प के साथ काम में जुट गए हैं और विपक्ष अभी भी चुनावी मोड में दिख रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में सम्पूर्ण विपक्ष के नेता सप्ताह में दो बार सरकार गिरने की भविष्यवाणी करके सनसनी फैलाने और मीडिया की फुटेज खाने का प्रयास करते रहते हैं।वर्तमान लोकसभा में कुल सीटें अधिक आने से कांग्रेस का दिमाग सातवें आसमान पर है । जब से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में स्थान मिला है, कांग्रेसी हर दिन मोदी सरकार अब गिरी तब गिरी के सपने देख रहे हैं।  

नई सरकार के गठन के बाद पहले संसद सत्र में मोदी सरकार ने जिस कुशलता के साथ विपक्ष के प्रत्येक दांव को ध्वस्त किया उससे विपक्ष बुरी तरह तिलमिला गया है। राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने पहले लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव पर सरकार को घेरने और उसमें मतदान कराकर गिराने का सपना देखा और फिर नीट पेपर लीक  घोटाले पर बहस करने को लेकर अड़ गया किंतु दोनों ही जगह वह मात खाया। यानि संसद के पहले सत्र में विपक्ष ने अनावश्यक रूप से सरकार को गिराने व घरेने का प्रयास किया और विफल रहा।  

संसद सत्र में कमजोर दिखने के बाद  विपक्ष के तेवर और तीखे हो गये हैं वह सच्ची-झूठी बातों को लेकर सरकार  आरोप लगा रहा है। सोशल मीडिया स्वयं प्रियंका गांधी ने ऐसे वीडियो डाले जो फेक थे। वास्तविक मुद्दों से अधिक  विपक्ष झूठ फैलाने में सक्रिय है। बारिश में पानी भरने के लिए भी केंद्र सरकार को कोसा जा रहा है और ब्राज़ील का वीडियो रामपथ के नाम से पोस्ट किया जा रहा है । विपक्ष को लगता है इस तरह झूठ फैलाने से मोदी सरकार की छवि प्रभावित हो जाएगी और उसको गिरना सरल होगा। 

राहुल गांधी सक्रियता के नाम पर आवेश दिखा रहे हैं । उन्होंने लोकसभा की 543 में से 99 सीटों पर सफलता प्राप्त की है और उनका अहंकार इतना अधिक बढ़ गया है कि वह जितनी बार मुंह खोलते हैं उतनी बार हिंदू समाज व उसकी आस्था के प्रतीकों का अपमान करते हैं फिर चाहे वो संसद के अंदर हो या बाहर। जहाँ जहाँ कोई दुर्घटना या सामाजिक समस्या है वहां वहां राहुल गांधी का काफिला अपनी राजनीति चमकाने जा रहा है । राहुल अभी तक हाथरस, मणिपुर और असम जाकर अपनी मोहब्बत की दुकान का प्रचार  कर चुके हैं । समस्या कोई भी हो, स्थान कोई भी हो राहुल चर्चा केवल मोहब्बत की दुकान की ही करते हैं, इस बीच कोई पत्रकार प्रश्न पूछ ले तो उनके तेवर बदल जाते हैं और वो गुस्से में पैर पटक कर चल देते हैं ।   

सोनिया के समय हिन्दुओं के प्रति कांग्रेस दबी ढकी नफरत राहुल के समय खुल कर सामने आ गई है। राहुल गांधी ने संसद में अपने पहले ही भाषण में सम्पूर्ण हिंदू समाज को हिंसक कहने का दुस्साहस किया। नेता प्रतिपक्ष के रूप में  राहुल गांधी ने जोर देकर इस बात को दोहराया कि – जो अपने को हिन्दू कहते हैं वो हिंसक होते हैं। सदन में प्रधानमंत्री जी ने इसका तत्क्षण इसका प्रतिवाद किया और बाद में अपने संबोधन में भी इस पर विस्तार से चर्चा की तो कांग्रेस और इंडी गठबंधन के लोग हंगामा करते रहे। राहुल गांधी ने अपमानजनक तरीके से भगवान शिव का चित्र लहराया और उनके स्वरुप की गलत विवेचना करी । सदन के बाहर विरोध होने पर कांग्रेस ने एक बार झूठ का सहारा लेकर मामले पर लीपापोती करने का प्रयास किया ।

नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहली बार गुजरात पहुंचे राहुल गांधी इतने अधिक उत्साह में थे कि वह “वाराणसी में ही प्रधानमंत्री मोदी को निपटा देते” जैसी शब्दावली का प्रयोग करने लगे । राहुल यहीं नहीं रुके, आगे बढ़ते हुए बोले “गुजरात से लालकृष्ण आडवाणी ने जो मूवमेंट चलाया था उसे हमने अयोध्या में हरा दिया है”। स्पष्ट है राहुल गाँधी को न तो श्री रामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ का इतिहास पता है, न उनमें  हिन्दुओं की आस्था के प्रति सम्मान है । राहुल गांधी ने गुजरात में अपने भाषण के माध्यम से हिंदू समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उन्होंने कांग्रेस की कुछ सीटें बढ़ाकर बड़ी गलती कर दी है। राहुल के इस बयान से कांग्रेस की वामपंथी मुस्लिम परस्त मानसिकता  ही बेनकाब हुयी है। 

आजकल राहुल और अखिलेश फैजाबाद के सांसद को तमगे की तरह साथ लेकर घूमते हैं, उनको अयोध्या का राजा बताते हैं और सनातन समाज का मखौल उड़ाते हैं। यदि इन दोनों  को लग रहा है कि अयोध्या में भाजपा को हराकर  उन्होंने हिन्दुत्व को हरा दिया है तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। इनको लग रहा है कि अब लोग न तो जय श्रीराम का नारा लगाएंगे और न ही अयोध्या में श्रीराम का दर्शन करने आयेंगे लेकिन उन्हें नहीं पता कि भगवान राम भारत की आत्मा और सनातन धर्म का मूल हैं। 

दो लड़कों की जोड़ी को यह बात समझनी चाहिए कि भगवान राम, श्रीकृष्ण और भगवान शिव भारत की आत्मा हैं और इनका सार्वजनिक उपहास बहुत दिनों तक नहीं बनाया जा सकता। राहुल गांधी के बयानों को सुन सुनकर हिंदू समाज मन ही मन कुढ़ रहा है और अपनी गलती पर सिर धुन रहा है। वहीं संत समाज राहुल को अयोध्या में नहीं घुसने देना चाहता। राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के नेताओं को यह बात अच्छी तरह से पता होनी चाहिए  कि लोकतांत्रिक देश के चुनावों में जय- पराजय तो होती ही रहती है किंतु राष्ट्रीय आस्था कभी नहीं बदलती। हिंदू समाज ने श्री रामजन्म भूमि को विधर्मियों से मुक्त कराने के लिए 77 बार भीषण संघर्ष किया और सर्वस्व बलिदान करते हुए अंततः विजय प्राप्त की इस विजय का उपहास कर रहे हैं ये लोग। 

”अयोध्या अपराजिता है“ विधर्मी उस पर आक्रमण कर सकते हैं जीत नहीं सकते, अयोध्या यश से परिपूर्ण है,  दुःखों का हरण करने वाली है और  श्री राम के तेज से प्रकाशित है, आसुरी भावनाओं द्वरा ये कभी पराजित नहीं होगी । इस अयोध्या को इक्ष्वाकुवंश के राजाओं ने अपनी राजधानी बनाया और भगवान राम ने यहीं जन्म लिया यह शाश्वत सत्य है । भगवान राम को सृष्टि पर्यंत कोई नहीं हरा सकता। सपा ने फैजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव जीता है और उसको राहुल गांधी विपरीत दिशा में ले जाकर प्रचारित कर रहे हैं। अयोध्या की पराजय पर तंज कसने वाले नेताओं को पता होना चाहिए कि किसी भी बात की अति बुरी होती है । 

राहुल गांधी को भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी जी के राम मंदिर आन्दोलन को राजनैतिक समर्थन देने से आज भी इसलिए दर्द है क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी जी की तमाम रथयात्राएं ही हैं जिनसे कांग्रेस का हिन्दू विरोधी चेहरा सामने आया और आज भी कांग्रेस लोकसभा में 100 का आंकड़ा  छूने को तरस रही है। 

मुस्लिम तुष्टीकरण और झूठे विमर्श पर कुछ सीटें अधिक जीतने वाले राहुल गांधी का उतावलापन कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों को भारी पड़ सकता है क्योंकि भगवान राम भारत की आस्था, आधार, विचार, विधान ,चेतना, चिंतन, प्रतिष्ठा प्रताप और प्रवाह हैं। प्रभाव, नीति, नियति, नित्यता, निरंतरता के साथ राम विभु, विषदऔर व्यापक हैं और हर सनातनी जानता है – जाके प्रिय न राम बैदेही, तजिये ताहि कोटि बैरी सम जद्दपि परम सनेही ।

— मृत्युंजय दीक्षित