कविता

गांव की भोर

बड़ी सुहानी गांव की भोर
मुर्गा बोले
जन आंखें खोलें
बापू चले खेत की ओर
बड़ी सुहानी गांव की भोर

मंदिर में घंटी बाजे
गोपाल की मूरत सजे
छत पर नाचे मोर
बड़ी सुहानी गांव की भोर
चाची आंगन बुहारे
आसमान से गुम हुए सितारे
गुड़िया देती तुलसी को जल धार
बड़ी सुहानी गांव की भोर

दादी गाती सुर से मंत्र
दादा पढ़ते अखबार में लोकतंत्र
तोता-मैना की जोड़ी सुंदर
बड़ी सुहानी गांव की भोर

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111