कविता

हर तरफ नजर आते हो

दर्द बे-दर्द वो याद आते हैं,
उनकी हर बातों में हम नजर आते हैं।

प्यार-मोहब्बत, दिलों में हम ही तो नजर आते हैं,
क्योंकि वह हमारे अपने हैं, इसलिए हर तरफ नजर आते हैं।

ये लड़ाई, यह रूठना-मनाना, तुम्हारा यूँ मुँह फेरना,
प्यार ही है इसलिए तुम हर तरफ नजर आते हो।

मोहब्बत में दिल की बात करते दो दिल एक जिस्म नजर आते हैं,
तेरी इसी अदा पे हम कुर्बान हो जाएँ,
क्योंकि हर तरफ आप ही नजर आते हो।

इश्क़ बहुत ही नादान होता, प्यार में यही हर बार होता है,
दिलों में नफरत नहीं, हर तरफ प्यार ही होता है।

कब तक तुम चुप रहोगे, बोलचाल से ही प्यार होता है,
एक साथी तुम हमारे हो, तुम्हीं तो हर तरफ नजर आते हो..॥

— हरिहर सिंह चौहान

हरिहर सिंह चौहान

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001 मोबाइल 9826084157