राजनीति

विचारणीय : मुसलमान कहां दोषी है?

अभी अभी एक मामला आया था जिसमे एक आदेश जारी हुआ था कांवड़ मार्गो पर दुकानदारों को अपना वास्तविक नाम लिखने का। उसमे मैंने एक चीज नोटिस की कि कही भी दुकानदारों ने इस आदेश का बड़े स्तर पर विरोध नही किया, यहाँ तक कि मुस्लिम दुकानदार भी आसानी से इस आदेश का पालन करने लगे। उन्होंने अपनी दुकानों के बाहर, रेस्टोरेंट व ढाबो के बाहर अपने नाम लिखवा दिए। अगर किसी स्तर पर विरोध हुआ तो राजनैतिक स्तर पर।सबसे मजे की बात ये रही सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका किसी मुस्लिम ने दायर नही की। याचिका दायर की एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक NGO ने। ओर सुप्रीम कोर्ट में इस NGO के वकील थे कांग्रेस नेता अभिषेक मनुसिंघवी।
आज इसी प्रकरण में मेरी बात एक मुस्लिम व्यापारी से हुए। मैंने उससे समुदाय विशेष स्तर पर इस आदेश का कोई विरोध न करने का कारण जाना। उसका जबाब सुनकर मैं बहुत अशांत हो गया। उसने बताया कि जनाब क्या फर्क पड़ता है नाम लिखने से, हिंदू और सिख तो हमेशा से ही उन लोगो का साथ देते हैं जो उनके खिलाफ लड़ने के लिए उत्सुक रहते हैं। अब हमारे ख्वाजा मोइद्दीन चिश्ती को ही ले लो, उसने पृथ्वीराज की बेटियों का सरेआम बलात्कार कराया और आज हिंदू उसकी मजार को चूमने को ही लालायत रहते हैं।
अभी राममंदिर प्रकरण को ही ले, यदि तुम्हारे हिन्दू ही राममंदिर के विरोध में खड़े नही होते तो क्या किसी मुस्लिम की हिम्मत थी जो बाबरी मस्जिद के पक्ष में खड़ा हो जाता। हमारे पूर्वजों ने सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी का सरे आम कत्ल किया, उनके बच्चों को दीवार में चुनवा दिया और आज उनकी पुश्तें हमारे तलवे चाटने को तैयार बैठी हैं।
आपने देखा नही कैसे वो लोग अपने गुरुद्वारों में हमे नमाज अदा करवा रहे हैं। रोजा इफ्तारी करा रहे हैं। साहब तुम्हारे लोग बहुत भुलक्कड़ व लालची है। चौरासी के दंगों में कांग्रेस ने सिखों का कत्लेआम करवाया और आज वही सिख कांग्रेस के साथ राष्ट्र विरोधी केजरीवाल का साथ देते हुए मुसलमान के तलवे चाटने को ललायत है। मुलायम सिंह यादव ने हिंदुओं पर गोलियां चलवाई और आज हिंदू, उसके बेटे श्री अखिलेश यादव की चरण वंदना करने को लालायत हैं उनके लिए दरी बिछा रहे हैं।
इसलिए साहब कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर मुसलमान का नेम प्लेट भी लगी हो और हिंदू को वही आम किसी मुस्लिम दुकानदार की दुकान पर 5 रु. सस्ता मिल रहा है तो वह मुसलमान से ही खरीदेगा। आप ही के भाई, आपके हिन्दू धर्म का हिस्सा एस.सी., एस.टी. व दलित समाज के लोग जय मीम जय भीम में इतना खो गए हैं कि उन्हें इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता और आप जाति पांती में पड़े हो, सिर्फ जातिय नाम के चक्कर में पड़े हों। हिंदू को रु. 5 प्रति किलो अगर सब्जी सस्ती मिले, तो वो किसने थूका है किसने मुता है सब भूल जाएंगे, सामान हमसे ही खरीदेंगे।
मैं उसकी बात सुन सन्न रह गया और ये सोचते हुए कि ‘हिन्दुओ की बर्बादी का वास्तविक जिम्मेदार खुद🇮 हिन्दू है या मुसलमान?’ घर वापिस आ गया.