कविता

मां मेरी

मां मेरी
तुम न दिखो
तो लगता है
जीवन सूना- सूना ।

मां मेरी
जब तुम पास होती
तो रहता है
मेरा चेहरा खिला-खिला ।

मां मेरी
तेरा हाथ मेरे
सिर पर रहता है
तो हर गम दूर रहता है ।

मां मेरी
सदा रहो तुम पास
रोशन होती रहे
मेरी हर राह ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111