राजनीति

भारतीय उपमहाद्वीप स्वतंत्रता

भारतीय इतिहास में सबसे यादगार दिनों में से एक 15 अगस्त है। यह वह दिन है जिस दिन भारतीय उपमहाद्वीप को लंबे संघर्ष के बाद स्वतंत्रता मिली थी। स्वतंत्रता के बाद, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया। हमने अंग्रेजों से अपनी आजादी पाने के लिए बहुत संघर्ष किया।
लगभग दो शताब्दियों तक अंग्रेजों ने हम पर राज किया। और देश के नागरिकों को इन अत्याचारों के कारण बहुत कुछ सहना पड़ा। ब्रिटिश अधिकारी हमारे साथ तब तक गुलामों जैसा व्यवहार करते रहे जब तक कि हम उनसे लड़ने में कामयाब नहीं हो गए।
हमने अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष किया लेकिन हमारे नेताओं जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह के मार्गदर्शन में अथक और निस्वार्थ भाव से काम किया। इनमें से कुछ नेताओं ने हिंसा का रास्ता चुना तो कुछ ने अहिंसा का। लेकिन इनका अंतिम लक्ष्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। आखिर 15 अगस्त 1947 को लंबे समय से प्रतीक्षित सपना सच हो ही गया।
उस पल को फिर से जीने और आज़ादी और स्वतंत्रता की भावना का आनंद लेने के लिए हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। दूसरा कारण यह है कि हम इस संघर्ष में खोई गई कुर्बानियों और जानों को याद करें। इसके अलावा, हम इसे यह याद दिलाने के लिए मनाते हैं कि जिस आज़ादी का हम आनंद लेते हैं, वह हमने कड़ी मेहनत से हासिल की है।
इसके अलावा, यह उत्सव हमारे अंदर के देशभक्त जज्बे को भी जगाता है। उत्सव मनाने के साथ-साथ युवा पीढ़ी को उस समय के लोगों के संघर्षों से भी परिचित कराया जाता है।
हालाँकि यह एक राष्ट्रीय अवकाश है, फिर भी देश के लोग इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। स्कूल, कार्यालय, समाज और कॉलेज विभिन्न छोटे और बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करके इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
हर साल लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इस अवसर के सम्मान में 21 गोलियाँ चलाई जाती हैं। यह मुख्य समारोह की शुरुआत है। इस समारोह के बाद सेना की परेड होती है। स्कूल और कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रम, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, भाषण, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता के बारे में हर भारतीय का अलग-अलग नज़रिया है। कुछ लोगों के लिए यह लंबे संघर्ष की याद दिलाता है, जबकि युवाओं के लिए यह देश की शान और सम्मान का प्रतीक है। सबसे बढ़कर, हम पूरे देश में देशभक्ति की भावना देख सकते हैं।
स्वतंत्रता दिवस को पूरे देश में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन हर नागरिक उत्सवी भावना से भरा होता है और लोगों की विविधता और एकता पर गर्व करता है। यह न केवल स्वतंत्रता का उत्सव है, बल्कि देश की विविधता में एकता का भी उत्सव है।
विचारणीय प्रश्न आज़ भी सबके समक्ष अपना मुंह खोले खड़ा है कि क्या वास्तव में हम आजाद हुए हैं?
हर तरफ़ स्वतंत्रता का बिगुल तो बजता है लेकिन असल बात कुछ और ही होती है।

“स्वतंत्रता का बज रहा बिगुल चहुं ओर,
फिर भी मन सहमा-सहमा सा है,
किसने किसको गुलाम बनाया,
यह ही तो जीवन का चलन है।”

— नूतन गर्ग

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक