कविता

विजय दिवस की बधाई

करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
हिमाद्रि तुंग श्रृंखलाओ ने
सिंहों की शौर्य गाथा आज
फिर जनमानस में दोहराई
नमन उन वीरों को
जिन्होंने निज प्राणों को
आहुत कर विजय पताका फहराई
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
थल से आपरेशन विजय
जलसेना से तलवार
वायुसेना से सफेद सागर
ने शत्रु दल को धूल चटाई
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
दुर्गम कहो या अगम
गगन चुम्बी हिम श्रृंखलाये
सिंह गर्जन से थर्रायी
अरि मुण्डमाल मां भारती
के चरणों में चढ़ा वीरों ने
प्राचीन रीति निभाई
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
रोम रोम रक्त रंजित था
शरीर पूरा छलनी था
बर्फीले तूफानो में
हिमालय भी घिरा पड़ा था
रक्त धमनियों में जमा पड़ा था
फिर भी हर सैनिक ने
एक एक चोटी पर
चढ़ कर हर-हर महादेव
की जयघोष लगाई
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
सुनो चीन और पाकिस्तान
है भीष्म प्रतिज्ञा
जो सीमाओं में धोखे से
घुसने का दुस्साहस अजमायेगा
फिर सिंहो की श्वास अनल से
कीट पतंगों सा जल जायेगा
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई
बलिदानी नवयुवाओं की
फिर फौज खड़ी है सीनाताने
बलिदानी पथ आलोकित कर
अमर ज्योति सदा ही जलाई
करगिल विजय दिवस पर
राष्ट्र को कोटि कोटि बधाई

— शुभ्रा राजीव

शुभ्रा राजीव

मूल नाम शुभ्रा भार्गव निवासी। भीलवाड़ा राजस्थान शिक्षा। बी एस सी ,बी एड एम ए हिन्दी कार्यरत। वरिष्ठ अध्यापिका गणित शिक्षा विभाग राजस्थान रुचि लिखना पढ़ना