कविता

राखी

सावन में आती राखी ।
बहिना का मन हर्षाती राखी ।।
स्नेह के धागों के संग ।
भाई की कलाई पर खिले रंग ।।

कच्चे धागे हैं अटूट ।
मन से राखी मिटाती खोट ।।
हर सावन में आती राखी ।
भाई -बहिन का स्नेह राखी ।।

भाई बहन की रक्षा की सौगंध खाता ।
ये रिश्ता सबसे पावन-पवित्र कहलाता ।।
चांद-सितारों सी चमकी राखी ।
मनभावन क्षण लाती है राखी ।।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111