कविता

शमा सा जलना काम आया

मोहब्बत करके देखी जब

शमा सा जलना बड़ा काम आया।

कंगन पहने कलाई में जब 

खनक में उनकी, तेरा ही नाम आया।

सावन में बरसते बादल में जब 

भीगते हुए मुझको तेरा ही दीदार आया।

जुल्फों से छूटी लट ने छेड़ा मेरे गालों को जब 

तेरे ही स्पर्श का एहसास आया।

तेरे ही शहर की गलियों में अकेले घूमी जब 

तेरी आहट ने सौ बार तड़पाया।

दुनिया ने मेरी खबर ली जब 

सबके लबों पर तेरा ही सवाल आया।

रात्रि दूसरे प्रहर में चांद ने ताका मुझे

मेरी आँखों मे उसने तेरा ही इंतजार पाया।

हुआ मुझसे तू दूर जब जब 

कलम ने मेरी हर बार विरह राग गाया।

         

सौम्या अग्रवाल

पता - सदर बाजार गंज, अम्बाह, मुरैना (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तक - "प्रीत सुहानी" ईमेल - soumyaagrawal2402@gmail.com