कविता

नारी महत्व

धन्य हुवा नर संगति पाकर।।
प्रकृतिस्वरूपा नारी श्रीपावन,
दया,छमा,उत्साह,प्रेम,श्रृंगार सुहावन,
ममता,त्याग,सरलतामूरत मोहक,
दिव्य,अलौकिक लाजशीलसम्मोहक,
यत्न सहेज श्रीअपनाकर।।
शक्ति,भक्ति,पालन,पूजन,अर्चन,बंदन
आत्मसमर्पण कर करती अभिनंदन,
तिरस्कार के कठिन क्लेश को सहती,
सेवाकर करती तपसा जीवन यापन,
पुरुष रहा है जिसका चाकर।।
मर्यादा अनुशासन का आदर्श मनोहर,
सृष्टिकर्ताकी अद्वितीय अमूल्यधरोहर,
मानवता के सृजन हेतु माँ कल्याणी,
देवियोंकी स्तुति करती देवों की वाणी,
धन्य सिंधु श्री सुता को पाकर।।
कोटिन देव-अनंग निछावर,
धन्य हुवा नर संगति पाकर।।

— जय प्रकाश शुक्ल

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372