कहानी

घबराहट में समझदारी

करीब दो वर्षों बाद तूलिका को बेटे शुभम और पति नरेश के साथ एक लंबी यात्रा पर जाने का अवसर मिला था। सभी बहुत खुश थे। तूलिका एक लेखिका थी, इसलिए नए-नए विषयों से अवगत होने का उसे मौका मिलने वाला था। वे पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा से गांव को जा रहे थे, जहां दूर-दूर तक हरियाली आंखों को ठंडा करती थी। हजारों किलोमीटर का सफर तय हो चुका था। बड़ी-बड़ी स्ट्रीट लाइटें भी दिखने लगी थी। आंखों को सब कुछ नया-सा दिख रहा था। हंसी-ठहाके और वार्तालाप से पूरा डिब्बा गूंज रहा था। कभी खीरा-ककड़ी की मीठी खुशबू, तो कभी अदरक-नींबू की चाय, तो कभी दूध की चाय। तभी एक वेंडर डिनर का ऑर्डर लेने आया। उसने मना कहते हुए अपने घर की रोटी और आलू की सब्जी से डिनर का आनन्द लिया। उसकी आँखें नींद से बोझिल होने लगीं।
कुछ समय ही बीता था कि सामने से कुछ हलचल सी हुई। उसने सामने बैठी महिला से पूछा- ”क्या हुआ आंटी?” ”अरे मैं तो यहां सोई थी, अचानक आंख खोली तो देखा मेरा पर्स नहीं था! जैसे ही स्टेशन से रेल गाड़ी निकली, मेरी आंखें खुलते ही देखा तो पर्स नहीं था। हम एक घंटे से ढूंढ रहे हैं।“
”क्या आपने सीटे के नीचे अच्छे से देखा?“
”हां, पूरा डिब्बा घूमकर देखा। पर पर्स कहीं दिखाई नहीं दिया।“
उनकी मनःस्थिति को देखकर तूलिका ने पूछा, “आंटी क्या था उसमें, कुछ मंहगी वस्तु तो नहीं!“
“अरे! भाई के घर शादी समारोह में जा रही थी। थोड़े बहुत रुपये तो जरूर थे।“
”आप लोगों ने रेलवे डिपार्टमेंट में सूचना दी क्या?“ तूलिका ने कहा
“नहीं, अब तक तो नहीं! क्या फायदा? पर्स तो अब मिलेगा नहीं।“ आंटी ने कहा।
”हां, फिर भी सूचना तो दे देते हैं।“ तूलिका ने फौरन 139 में फोन किया और सारी जानकारी देते हुए पर्स का रंग और साइज आदि बता दिया। अगले स्टेशन पर रेल रुकते ही तीन विभागीय कर्मचारी जांच पड़ताल करने पहुंचे। पर्स कब, कैसे और कहां गुम हुआ। किसी पर आशंका? ”मैडम हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपका पर्स मिल जाए। भरोसा रखिए!“ कहते हुए वे चलते बने।
फिर सूरज निकल ही रहा था कि दो पुलिस अधिकारी हाथों में पोटला लिये हुए बोगी में पधारे। उन्होंने पूछा- ”किसका पर्स गुम हुआ था?“
आंटी ने फौरन कहा- ”मेरा।“
“यह तो नहीं है?“ उन्होंने एक पर्स दिखाते हुए पूछा।
”हाँ, यही है। लेकिन आपको कहां…“
”यह बताइए, आप लोग अपनी चीजे संभालकर क्यों नहीं रखते?”
आँटी ने गंभीर होकर पर्स को लेकर हाथों से खंगाला, तो वह खाली था। उनके चेहरे की उदासी देख अधिकारियों ने कहा- ”पर्स तो किसी तरह मिल गया, लेकिन उसमें रखी सामग्रियों की आप कैसे आशा करती हैं कि… सूचना के अनुसार हमें तो यह रेल की पटरियो में गिरा मिला।“
अंदर सरकारी कागज सुरक्षित देखकर आँटी के साथ के अंकल ने चैन की सांस ली!
”वैसे क्या-क्या था इसमें?“ पुलिस अधिकारी ने पूछा।
”सर मामूली गहने वगैरा…“
”अच्छा…! अच्छा यह बताइए कि आखिर आप लोग अपनी चीजें संभालकर क्यों नहीं रखते! आज यदि पर्स नहीं मिलता, तो पूरी रेल विभाग की कितनी बदनामी होती कि फर्स्ट क्लास ए.सी. के डिब्बे में भी यह हाल! लेकिन यह जिम्मेदारी तो हर यात्री की अपनी होनी चाहिए कि वह अपनी चीजों को सुरक्षित एवं संभालकर रखें, जिससे उनकी चीजें भी सुरक्षित रहेंगी और चोरों को चोरी करने का मौका भी नहीं मिलेगा।“
चाचा जी कहने लगे- ”बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा, आज मुझे अपने कानून के रखवालों पर गर्व हो रहा है, जो तुमने मुझे सरकारी दफ्तरों के चक्कर से बचा दिया और आगे की यात्रा भी बाधित होने से बच गयी। सचमुच! श्रीमती जी अधिकारी साहब का शुक्रिया अदा कीजिए कि आपके बेटे की तनख्वाह से मिला पहला तोहफा आपके हाथों में दोबारा मिल गया।”0
भावनाओं में डूबी आंखों को नम देखकर अधिकारी बोले, ”अरे नहीं चाचा जी, ये तो हमारा फर्ज था लेकिन..“
”तुम दोनों का बहुत-बहुत आभार बेटा! भगवान तुम लोगों को बहुत-बहुत तरक्की दे।“ वे अधिकारी मुस्कराते हुए चले गये।
अब तूलिका बोली- ”अरे आंटी धन्यवाद ही करना चाहती है तो भोले बाबा का कीजिए! पर सुरक्षा की जिम्मेदारी हर यात्री की अपनी प्राथमिकता होनी चाहिए, इसे मानिए और अपनी यात्रा सुखद बनाइए।“
रेल अधिकारियों की इतनी सेवा देखकर तूलिका को सचमुच अपने आप पर गर्व हो रहा था। इतने में आंटी ने कहा- ”यह भोले बाबा के साथ-साथ तूलिका बीटिया का भी कमाल है उसी ने सही समय पर फोन कर दिया।“
”अरे आंटी ऐसा कुछ नहीं! यह तो मेरा कर्तव्य था। मुझे गर्व है कि आज मैं किसी के काम आई।“ शुभम और नरेश दोनों ने तूलिका को निहारते हुए जोर का ठहाका लगा दिया।

— डोली शाह

डोली शाह

1. नाम - श्रीमती डोली शाह 2. जन्मतिथि- 02 नवंबर 1982 संप्रति निवास स्थान -हैलाकंदी (असम के दक्षिणी छोर पर स्थित) वर्तमान में काव्य तथा लघु कथाएं लेखन में सक्रिय हू । 9. संपर्क सूत्र - निकट पी एच ई पोस्ट -सुल्तानी छोरा जिला -हैलाकंदी असम -788162 मोबाइल- 9395726158 10. ईमेल - [email protected]