खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन में मनोवैज्ञानिक की भूमिका
पेरिस ओलंपिक में पूरी दुनिया की निगाहें खिलाड़ियों के प्रदर्शन के साथ-साथ उनके द्वारा जीते जाने वाले मेडल पर थी। ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी दुनिया के सबसे मजबूत, तेज व कुशल होते हैं। ये खेल सिर्फ खिलाड़ियों के शारीरिक परीक्षा ही नहीं लेते, बल्कि खिलाड़ियों की मानसिक तत्परता व त्वरित निर्णय लेने की क्षमता की भी परख करते हैं। जो खिलाड़ी अपने खेल में न केवल पारंगत व मानसिक रूप से मजबूत होते हैं, वही मेडल जीतते हैं।
ओलंपिक खेल उच्च मानसिक दबाव वाले माहौल में खेले जाते हैं, यह दबाव खिलाड़ियों के आंतरिक स्थिति व सफलता के लिए बाहरी दबाव भी हो सकता है पर वही खिलाड़ी सफल होते हैं जो मानसिक स्तर से दबाव को झेलने में सक्षम होते हैं। आत्मविश्वास, प्रतिबद्धता, अभिप्रेरणा, स्वयं पर नियंत्रण, विचारों में लचीलापन, धनात्मक सोच, आत्म सम्मान व ध्यान जैसे मानसिक शक्तियों को खिलाड़ियों को सीखना व उसे विकसित करना आवश्यक होता है। इन मानसिक शक्तियों के विकास एवं अभ्यास में मनोवैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैः
परिस्थितियों का अवलोकन करके उन्हें समझने की क्षमता, आत्म विमर्श, लक्ष्य निर्धारण, ध्यान नियंत्रण व केन्द्रण, माइंडफुलनेस, बायोफीडबैक, उत्प्रेरक प्रशिक्षण, आत्म-नियमन का उपयोग मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों को तत्पर अवस्था में लाने और उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें खेलों में उच्च प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए करते हैं।
एक मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों को उसको उसके सभी मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ उसमें परिस्थितियों को सकारात्मक दृष्टि से अवलोकन करने की क्षमता का विकास करता है तथा अपने क्षमताओं का सही आँकलन करके तैयारी करने के लिए भी प्रेरित करता है खिलाड़ियों में सामान्य स्तर का तनाव एवं चिंता उनके सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए आवश्यक होता है किंतु जब तनाव एवं चिंता का स्तर ऊंचा हो जाए व सतत् रूप से बना रहे तो खिलाड़ी अपने कौशलों का प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं होते हैं।
मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों को अपने तनाव को नियंत्रित करके सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए तैयार करते हैं। खिलाड़ियों का प्रदर्शन कई कारकों जैसे- व्यक्तित्व, बुद्धि, भावनात्मक स्थिरता, अवलोकन व आँकलन की क्षमता, तनाव, चिंता, आदि से प्रभावित होता है। मनोवैज्ञानिक इन सभी कारकों को संतुलित रखने में खिलाड़ियों का विभिन्न मनोवैज्ञानिक तकनीक के द्वारा सहायता प्रदान करता है।
मानसिक प्रशिक्षण:- मानसिक प्रशिक्षण एक सतत् व क्रमिक प्रक्रिया है जिसमें मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों के दिमाग को दबाव व तनाव को नियंत्रण में रखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार करता है ।मनोवैज्ञानिक न केवल खिलाड़ी बल्कि टीम के साथ मिलकर काम करता हैं। मनोवैज्ञानिक टीम के सभी खिलाड़ियों में टीम भावना, एक-दूसरे के लिए सम्मान, खिलाड़ियों के बीच मजबूत संप्रेषण व सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनता है जिससे पूरी टीम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हो सके।
प्रशिक्षकों को सहयोग देना:-
मनोवैज्ञानिक खेल प्रशिक्षकों को खिलाड़ियों के मजबूत व कमजोर पक्षों का सटीक जानकारी प्रदान करता है जिससे प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण की रणनीति तैयार करने में सहायता मिलती है। मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों के मनोविज्ञान आयामों के बारे में जानकारी देते हैं। खिलाड़ियों के अंतर्निहित भय को उजागर व दूर करने में सहायता करते हैं। मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों को अभिप्रेरित रखने, उनके संप्रेषण कौशल में सुधार करने तथा प्रबंधन व संगठन के दबाव से निपटने सक्षम बनता है।
अभिभावक को परामर्श देना:-
मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों के माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों को परामर्श के द्वारा खिलाड़ियों के उत्सवर्धन तथा अभिप्रेरणा प्रदान करने के कौशल में सक्षम बनाते हैं। मनोवैज्ञानिक परामर्श के द्वारा खिलाड़ियों के माता-पिता को खेल से जुड़े दबावों, खिलाड़ियों की चिंताओं को समझने तथा उन्हें दूर करने में मदद करता है। मनोवैज्ञानिक उन्हें चुनौतीपूर्ण समय में खिलाड़ियों को मनोवैज्ञानिक समर्थन व सहयोग प्रदान करने के प्रभावशाली तौर तरीकों से अवगत कराता है।
मानसिक दृढ़ता का अभ्यास:-
मानसिक दृढ़ता का अभ्यास पहलवानों व एथलीटों को उन मानसिक बाधाओं की पहचान करने में मदद करती है व उनके प्रदर्शन को कम करने का कारणों के निराकरण करने में सहयोग देती हैं। खिलाड़ी निम्न उपाय कर सकते हैं:-
खेल का निरन्तर अभ्यास करते रहें।
कमियों पर नियंत्रण पाएं
अपने आत्मविश्वास को बनाए रहें।
अपने प्रदर्शन के स्तर को बढ़ाने के लिए मैच-पूर्व दिनचर्या का कडाई से पालन करें।
अपने ध्यान को लक्ष्य पर फोकस करने और ध्यान अवक्षरण पर काबू पाने के लिए मानसिक अभ्यास करें।
गलतियों होने पर अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखें।
खेल में मनोवैज्ञानिकों का महत्व:
मनोविज्ञान खिलाड़ियों के व्यवहार व प्रदर्शन की भविष्यवाणी करता हैं।
खिलाड़ियों के मनोवैज्ञानिक समस्याओं की पहचान कर समय से दूर करता है ताकि वे अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सके।
खिलाड़ियों के तनाव और दबाव के कारण तथा उनके स्तर को समझ कर उनको उससे उबरने के तरीकों से अवगत कराता है।
खिलाड़ियों के कमियों का पता लगाकर प्रशिक्षक के माध्यम से उन्हें दूर करने में खिलाड़ियों को सहयोग प्रदान करता है।
खिलाड़ी के मजबूत पक्षों की पहचान कर उनके कौशल में और सुधार हेतु प्रभावकारी तरीकों का इजाद करता है।
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से खिलाड़ियों के मनोवैज्ञानिक गुणों का आँकलन करके खेल के अनुसार उन गुणों के विकास में सहयोग देता है
खेल प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया में सहयोग करता है
खिलाड़ियों के आंतरिक भावनाओं जैसे- चिंता, इच्छाओं, आशाओं व परेशानियों को प्रक्षेपी तकनीकों का प्रयोग करके पता लगता है तथा उसमें अपेक्षित परिवर्तन लाता है।
सही प्रशिक्षक का चुनाव करने में सहायता करता है।
समाजमिति का उपयोग करके टीम के खिलाड़ियों के बीच संबंध का पता लगता है तथा उसे और मजबूत करने में सहायता प्रदान करता है
मनोवैज्ञानिक समस्याओं व कमियों का आँकलन करता है तथा खिलाड़ियों को उससे उबरने में सहायता प्रदान करता है।
खिलाड़ियों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाने में सहयोग देता है।
आधुनिक समय में खेल केवल व्यक्तिगत आनंद का विषय नहीं रह गया यह पेशेवर तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान और सम्मान का माध्यम बन चुका है इसमें कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है ऐसी स्थिति में दिनों दिन खेल में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है।
— डॉ. मनोज कुमार तिवारी