द्रोपदी पुकार
द्रोपदसुता की लाज बचा लो, आके मुरलीवाले: कहाँ तू सो रहा है।
बीच सभा मे देखो, दुःखिया पुकारे बड़ी देर से:
दौड़ के आजा कान्हा, बहना की एक टेर से :
दुष्टदुशासन खींचे सारी, सारी वही बढ़ा दे ।
कहाँ तू…
चाल चली खल भारी,भीर भरी दरबार मे :
दुष्ट दुर्योधन माने, मान मेरे अपमान मे :
पति हमारे जुए मे हारे, छूटे सभी सहारे।
कहाँ तू..
बहना तुम्हारी श्याम, संकट मे पड़ी आज है :
हे ! गिरधारी तेरे ए , हाथों मे मेरी लाज है :
आन बचाओ लाज हमारी, काटो संकट सारे।कहाँ तू…
होत उघारी बहना, जाएगी तेरी लाज है:
भैया ओ मोहन प्यारे, तू हि मेरा सरताज है :
नरबस नारी विवश विचारी,तुमही एकअधारे। कहाँ तू..
आके समा जा प्रभु जी,सारी के हर तार मे :
दाग न लगने पाए,कृष्णा तेरी सरकार मे:
गणिका,गीध,अजामिल तारे,भक्तों के रखवारे।कहाँ तू…
— डॉ. जय प्रकाश शुक्ल