गोवंश के हित में पुनीत पहल का स्वागत करें
बेसहारा गोवंश से मुक्त होंगे हाईवे, किनारे बनेंगी गोशालाएं के सम्बंध में समाचार पत्रों में खबर पढ़ी। माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्दश पर बन रही योजना। हर पांच किमी के दायरे में टीन शेड का बाड़ा, चबूतरा बनेगा। नेशनल हाइवे पर गोवंश से दुर्घटनाओं के मामलों को देखते हुए एन एच आइ ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर रेस्क्यू दल और काऊ कैचिंग व्हीकल की मदद से सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा गले मे रेडियम बेल्ट व सिंग पर रेडियम लगाया जाएगा। देखा जाए तो गौ-संरक्षण एवं संवर्धन के तहत गौ रक्षा पालन संवर्धन हेतु सामाजिक धार्मिक संस्थाएं एवं सेवा भावी लोग लगातार संघर्षरत है, क्योकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। वर्तमान बजट में भी गोवंश के लिए एक सराहनीय बजट रखा. उसके पूर्व प्रदेश मे गोवंश वध रोकने के लिए प्रदेश सरकार की पहल भी प्रशंसनीय है। अब गोवंश के अवैध परिवहन में लगे वाहनों को कलेक्टर राजसात कर सकेंगे। अवैध परिवहन वालो पर संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जावेंगी। आवारा शब्द पर पिछले वर्ष गाय के हित मे राजस्थान में ये पहल की गई थी कि गाय को अब आश्रयहीन कहा जायेगा। जयपुर नगर निगम सेंटर प्रशासन ने प्रशंसनीय निर्णय लिया है। इस तरह आश्रयहीन अथवा बेसहारा बोले जाने का निर्णय हर जगह इस्तेमाल होना चाहिए। देखा जाए तो विदेशों में तो गाय को गले लगाने का चलन जोरों पर चल रहा है। इसके द्वारा वे स्वयं को तनाव,अवसाद मुक्त होकर स्वस्थ महसूस कर रहे है। इस प्रयोग के लिए वे हजारों रुपये खर्च कर रहे है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”