आधुनिक भारत के विश्वकर्मा डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
आज वर्तमान में हर क्षेत्र के प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं चाहे वो कोई भी फील्ड हो।तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं,इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं।पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ के इंजिनियर को जाता हैं।प्रगतिशील भारत के निर्माता के रूप में विख्यात डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस 15 सितंबर को प्रतिवर्ष अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म 15 सितंबर, 1861 में मैसूर में हुआ था। भारत सरकार ने वर्ष 1968 में उनकी जन्म तिथि को अभियंता दिवस घोषित किया था। डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को सिंचाई डिज़ाइन के मास्टर के रूप में भी जाना जाता है।
इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला. एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये. उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया. इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके। उनकी उल्लेखनीय परियोजनाओं में से कृष्णा राजा सागर झील और बांध है, जिसकी आज भी हर कोई सराहना करता है, कर्नाटक में स्थित है। उस समय भारत में वह सबसे बड़ा जलाशय था।बंबई में उनके द्वारा बनाए गए कई बांध आज भी क्रियाशील हैं।ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है।मैसूर विश्वविद्यालय के लिए मैसूर के लोगों गर्व होना चाहिए कि उनकी इच्छा और दृढ़ विश्वास से इसकी स्थापना की गई थी। वर्ष 1955 में उनकी अभूतपूर्व तथाजनहितकारी उपलब्धियों के लिये उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया। जब वह 100 वर्ष के हुए तो भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया।
डॉ विश्वेश्वरैया की उपलब्धियों को सम्मानित करने और मान्यता देने भारत में इंजीनियर दिवस उन लोगों को जश्न मनाने और धन्यवाद देने का अवसर प्रदान करता है जो देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इंजीनियर की उपलब्धियाँ से देश का बुनियाद तय होता हैं एवम एक विकसित राष्ट्र का निर्माण होता हैं ।
— त्रिभुवन लाल साहू