भगवान विश्वकर्मा पूजन श्रेष्ठ और फलदायी है
भगवान विश्वकर्मा पूजन श्रेष्ठ और फलदायी है|यदि परमपिता ब्रह्मा के बाद कोई सर्वश्रेष्ठ रचयिता हैं तो वे विश्वकर्मा ही हैं। पुराणों में लगभग जितनी भी प्रसिद्ध रचनाएं हैं वो वसु पुत्र विश्वकर्मा ने ही बनाई है। चाहे वो लंका हो या द्वारका, पुष्पक विमान हो या महादेव का त्रिशूल। यहां तक कि स्वयं अपने पुत्र वृत्रासुर के वध हेतु वज्र भी इन्होंने ही बनाया।विश्वकर्मा के बारे में गरुड़ पुराण,विष्णु पुराण ,मत्स्य पुराण में उनके द्वारा निर्मित की गई कला-कौशल का वर्णन मिलता है |भवन-निर्माण,व हजारों तरह के शिल्पी कला के भगवान है |पांडवों की माया सभा, और देवताओं के लिए कई शानदार हथियारों के निर्माता थे सामान्य कारीगरी. शिल्पी ,यांत्रिकी कर्म इनकी कौशलता सिद्धि -प्रसिद्ध हमें ज्ञान प्रदान करती है | इसलिए इनकी आराधना एवं पूजन करना चाहिए|भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। भगवान विश्वकर्मा *वास्तु ग्रंथो के रचनाकार है पूजा का त्योहार भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का ऋग्वेद के अनुसार पहला वास्तुकार, इंजीनियर, और शिल्पकार माना जाता है।इसलिए, उन्हें वास्तुकला का देवता भी कहा जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने करियर में सफलता के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।विश्वकर्मा पूजन दिवस, भगवान विश्वकर्मा, दिव्य वास्तुकार के लिए उत्सव का दिन है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”