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पितृपक्ष को लेकर छोटे-बड़े संवाद

पितृ पक्ष क्या है? क्या पितरो को श्राद्ध करने से पूर्वजो को मोक्ष की प्राप्ति होता है बड़े?
हाँ छोटे!पितरों का श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक के पंद्रह दिनों को पितृपक्ष कहा जाता है और यह पखवाड़ा सिर्फ पितरों अर्थात पूर्वजों के पूजन और तर्पण के लिए होता है।
पितृऋण से मुक्ति कैसे मिलता हैं बड़े?
तीन ऋण शास्त्रों में वर्णित है देवत्रऋण, ऋषित्रऋण और पितृऋण। इंसमे श्राद्ध द्वारा पितृत्रऋण उतारा जाता है। जिन माता-पिता ने हमें जन्म दिया, हमारी आयु, आरोग्य और सुख सौभाग्य आदि के लिए अनेक यत्न किए, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म निरर्थक होता है।श्राद्ध मतलब जो श्रद्धा से जिस तिथि को पिता या माता की मृत्यु हुई हो पितृपक्ष में उसी दिन श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक माना जाता है छोटे।
श्राद्ध का विधान क्या है बड़े?
पितृपक्ष में पिंडदान मृत्युतिथि के दिन ही किया जाता है। देवताओं और ऋषियों को जल देने के बाद पितरों को जल देकर तृप्त किया जाता है। पितृपक्ष में पुरुषों को जल, तिल जौ चावल कुश और तरोई आदि से तर्पण और श्राद्ध संपन्न करना चाहिए। जिन लोगों की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए। नवमी, माता के श्राद्ध के लिए पुण्यदायी मानी गई है छोटे।
क्या तीर्थ स्थलों का श्राद्ध में महत्व हैं बड़े?
श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र गया तीर्थ को जो फल्गु नदी के तट पर बसा है को माना गया है इस पवित्र स्थान पर पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म करने से पितरों की मुक्ति हो जाती है। वे प्रेत या अन्य योनियों से छुटकारा पा जाते है। सुविधा के अभाव में किसी भी पवित्र नदी के तट, तीर्थस्थल या अपने घर में श्राद्ध संपन्न किया जा सकता है छोटे।
श्राद्ध किसे करना चाहिए बडे?
श्राद्ध का अधिकार पुत्र को है अगर पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी अनेक पुत्र हों तो ज्येष्ठ पुत्र को सभी भाई अलग-अलग रहते हों तो वे भी अपने-अपने घरों में श्राद्ध कर सकते है। किंतु संयुक्त रूप से एक ही श्राद्ध करना अच्छाहै। पुत्र परंपरा के अभाव में भाई श्राद्ध कर सकता है। यदि कोई विहित उत्तराधिकारी न हो तो नाती या परिवार का कोई भी उत्तराधिकारी श्राद्ध कर सकता है। तर्पण समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों के लोगों को भी जल दिया जाता है, जिन्हे जल देने वाला कोई न हो छोटे।सूर्य इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। पितर अपने दिवंगत होने की तिथि के दिन पुत्र-पौत्रों से उम्मीद रखते हैं कि कोई श्रद्धापूर्वक उनके उद्धार के लिए पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करें छोटे।
हमे पितृपक्ष में कैसे रहना चाहिए बड़े?
आजकल लोग कहा कुछ मानते हैं छोटे मांस मंदिरा को छोड़ नही सकते और उनके तर्क में तो पितर ही हांर मान जाये और भला पत्नी को शॉपिंग से कौन रोक सकता हैं पर श्राद्ध करने वाले पुरुष पुरुष औरउसकी पत्नी को सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। साथ ही इस दौरान नए वस्त्र, आभूषण आदि की खरीदारी और उपयोग भी वर्जित माना गया है छोटे।

— त्रिभुवन लाल साहू

त्रिभुवन लाल साहू

बोड़सरा,जाँजगिर ,छत्तीसगढ़ सेवा:जूनियर इंजीनयर,,स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड,,भिलाई,,छत्तीसगढ़

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