स्मृतियां
यहां से बचकर कोई नहीं जायेगा
धीरे-धीरे जीवन का सूर्य अस्त हो जायेगा
तब हर अपना-पराया
साथ छोड़ जायेगा ।
जर्जर काया का
मोह- माया से संबंध टूट जायेगा ।
तब शेष बचेगीं
सिर्फ खट्टी- मीठी स्मृतियां…
तुम्हारी अच्छाइयां आगे बढ़कर
हाथ थामेंगी…
वही मोक्ष होगा…
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा