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आत्म-संयम की साधना है –  नवरात्री  साधना

नवरात्रि शक्ति साधना का पर्व है । वैसे तो माता का प्रेम अपनी संतान पर सदा ही बरसता रहता है, पर कभीकभी यह प्रेम छलक पड़ता है, तब वह अपनी संतान को सीने से लगाकर अपने प्यार का अहसास कराती है। संरक्षण का आश्वासन देती है। नवरात्रि की समयावधि भी आद्यशक्ति की स्नेहाभिव्यक्ति का ऐसा ही विशिष्ट काल है।

या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः|

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी शारदीय नवरात्री का शुभ आगमन  हो रहा है। 03 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्री के इस पवित्र अवसर पर, मेरी ओर से आपको और आपके परिवार को ढेर सारी शुभकामनाएँ!आप सभी के जीवन मे हमेशा सुख- समृद्धि  एवं माता रानी की असीम अनुकम्पा  बना रहे ऐसी प्रार्थना।

नवरात्र काल में वायुमंडल में दैवीय शक्तियों के स्पंदन अत्यधिक सक्रिय होते हैं तथा सूक्ष्म जगत के दिव्य प्रवाह भी इन दिनों वायुमंडल में तेजी से उभरते और मानवी चेतना को गहराई से प्रभावित करते हैं।

यह समय अपने आप को साफ करने का समय। इस समय मे जब दैवी शक्ति धरा पर बरस रही है तो इसमें गोता लगाकर अपने आप को साफ व पवित्र बनाने की आवश्यकता हैं। वरना ये प्रकृति यही काम हमसे बल पूर्वक करा लेती है।।

इसी कारण हमारे वैदिक ऋषियों ने इन संधिकालों की नवरात्रीय साधना में मां शक्ति की आराधना का विधान बनाया था। ऋषि कहते हैं कि मां आदिशक्ति का स्वरूप वस्तुत: शक्ति का विश्वरूप है और नवरात्र का अनुष्ठान शक्ति के साथ मर्यादा का अनुशासन और मां के सम्मान का संविधान।

इसलिय नवरात्री काल के नौ दिन का समय मानव के लिए बहुत ही विशेष समय होता हैं। नवरात्री काल के ये समय हम सभी के जीवन में अमृतपान करने का समय  हैं। ये समय अपनी पात्रता को विकसित करने का एक अद्भुत काल है। जिसमे ब्रह्मांडीय ऊर्जा एवं प्रकृति हर तरीके से हमारी सहायता करती हैं।। जिस प्रकार से किसी विशेष समय में किसी विशेष प्रयोजन से किसी काम को किया जाता है तब उसका परिणाम और उसका महत्व बढ़ जाता हैं , ठीक उसी प्रकार से नवरात्री काल के नौ दिन का यह विशेष समय अपनी पात्रता को विकसित करने का समय होता जिसमे प्रकृति का साथ मिलता है।। नवरात्री काल के इस समय में ब्रह्मांडीय ऊर्जा पृथ्वी पर छाई रहती है। इस ऊर्जा के बीच मे बैठकर जब हम माँ की उपासना करते है तब हमारे अंदर अनंत सकारात्मक शक्ति का संचार होता है तथा हमारी प्राणशक्ति में अपार वृद्धि होती। इस विषय समय में  कॉस्मिक एनर्जी के माध्यम से अपनी व्यक्तिव को परिष्कृत करने का स्वर्णिम अवसर  होता हैं।

हम अध्यात्म की दृष्टि से देखे या विज्ञान की दृष्टि से देखे, दोनों ही दृष्टि से नवरात्री का अनुष्ठान हमारे लिए शुभ फलदायक होता है।

अध्यात्म की दृष्टि से देखे तो इस समय मे कॉस्मॉस की एनर्जी अथवा ब्रह्मांडीय ऊर्जा पृथ्वी पर मौजूद होते है। एक सकारात्मक वतावरण होता जिसमे उपासना एवं साधना करने से उसका लाभ हमे मिलता है।

सेहत के दृष्टिकोण से लाभदायक समय

विज्ञान एवं वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो यह समय मौसम परिवर्तन का समय होता है। जब मौसम परिवर्तित होती है तब अनेकों प्रकार की बिमारियाँ भी सक्रिय रूप से हम पर हावी होने का प्रयास करती है। पेट की समस्या से लेकर,  सर दर्द और भी अलग – अलग बिमारियाँ दस्तक देने लगती है। शारदीय नवरात्री का शुभारंभ ऐसे समय में होता है जब बरसात का मौसम के तुरंत बाद ठंड के मौसम के आगमन हो रहा होता हैं| मौसम के परिवर्तन के इस क्षण मे हमें  अपने खान- पान एवं आहार- विहार का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। मौसम परिवर्तन के शुरुआती क्षण मे जब शारदीय नवरात्री आरंभ होता तो इसमें हमे नव दिवसीय अनुष्ठान करना चाहिए। अनुष्ठान के क्रम में जब हम सही दिनचर्या का पालन करते हुए उपवास करते है।

उपवास के क्रम में नौ दिन हम अपने खान- पान पर विशेष ध्यान देते है। इस समय में हम सिर्फ फलाहार करते है या फिर दूसरे प्रकार का शुद्ध और सात्विक प्राकृतिक आहार का सेवन करते है। इससे हमारे पुरे शरीर में रिफाइंमेंट की प्रक्रिया होती है और हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनते हैं।

संयम की साधना

इस प्रकार से नवरात्री साधना संयम की साधना है जिसमे हम अपने आहार संयम से लेकर, इंद्रिय संयम, वाणी संयम, समय संयम एवं अर्थ संयम का प्रयास करते है और यही संयम हमे जीवन मे सफलता की नई उचाइयों पर पहुचाता हैं।। नवरात्री की साधना हमे संयम सिखाती हैं।

विशाल सोनी

शिक्षा-MCA पेशा- शिक्षक वैशाली (बिहार) 8051126749