कविता

कल की चिंता छोड़

मत भ्रम पाल रे साथी,
कल की चिंता छोड़ रे साथी ।

मोह- माया का जाल बुरा,
मत लालच पाल रे साथी ।

होड़ किसी की क्या करनी ?
कुछ भी साथ न जाये रे साथी ।

प्रेम- सत्य की राह सुहानी,
एक बार तो चलके देख रे साथी ।

बुरे काम का बुरा नतीजा,
आज नहीं तो कल मिले रे साथी ।

किस्मत का रोना मत रो रे साथी,
कल की चिंता छोड़ रे साथी ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111