कल की चिंता छोड़
मत भ्रम पाल रे साथी,
कल की चिंता छोड़ रे साथी ।
मोह- माया का जाल बुरा,
मत लालच पाल रे साथी ।
होड़ किसी की क्या करनी ?
कुछ भी साथ न जाये रे साथी ।
प्रेम- सत्य की राह सुहानी,
एक बार तो चलके देख रे साथी ।
बुरे काम का बुरा नतीजा,
आज नहीं तो कल मिले रे साथी ।
किस्मत का रोना मत रो रे साथी,
कल की चिंता छोड़ रे साथी ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा