लघुकथा

लघुकथा – मन की व्यथा

पिता के संस्कार और शिक्षा के कारण पुत्र भी घर को एक मंदिर ही मानता था। इसलिए वक्त के साथ राहुल ने पिता की बात मान शादी भी कर लिया। कुछ साल बाद ही दो कन्हैया भी घर पधार गये। परिवार आगे बढ़ता रहा। बच्चों के किलकारियों से पूरा घर खुशियों से गूंजता। बच्चे भी परिवार का खास ख्याल रखते। सामान्य शिक्षाओ तक तो वो साथ रहे।मगर आधुनिक ट्रेंड के अनुसार उच्च शिक्षा के लिए दोनों ही बच्चे अपनी शहर से दूर चले गए। जिससे राहुल को दुख तो हुआ लेकिन अच्छे भविष्य के लिए बच्चे की इच्छा देख वह मौन ही रह गया। वैसे तो सब कुछ सही ही चल रहा था । बच्चे भी हर छुट्टियों में अपने घर आ जाते जिससे पूरा परिवार प्यार की सूत्र से बंधा रहता। अब उनकी नौकरी भी वही लग गई।
अचानक एक बार राहुल की पत्नी सुनैना की तबीयत बिगड़ी । उसने बच्चों को देखने की इच्छा जाहिर की, लेकिन वक्त ने साथ नहीं दिया । दोनों में से किसी एक को भी अवकाश न मिल पाया जिससे राहुल को बहुत दुख हुआ । वहीं बार-बार सुनैना के पूछे जाने पर उसने फटकारते हुए कहा– ‘मैं हूं ना तुम्हारे पास , तो किसी और की क्या जरूरत !’
दो पल सुनैना मौन रही ,’ फिर बोली, ‘लेकिन बच्चे भी तो हमारे …..’
‘सुनैना सब मोह- माया है ये रिश्ते नाते सब कुछ मत सोचो, जब उन्हें वक्त होगा तो वह स्वयं ही आ जाएंगे ! और इस कलयुग में यदि खुश रहना चाहो तो सिर्फ अपने आप को अपना साथी बनाओ । किसी से कोई अपेक्षा मत करो, और करो भी तो उतनी ही करो जितनी पूरी हो सके, क्योंकि आज बिना जरूरत का कोई साथ नहीं।’
वह अपनी बात कहने लगा मैं तो अपनी रिश्ते से पूरी तरह संतुष्ट हूं। सुनैना मौन हो सब कुछ सुनती रही। गलारुद्ध कर बोली– ‘हमारे बच्चे…!’
‘तुमहारे एक आह में मैं हाजिर हो जाता हूं फिर इतनी चिंता क्यों!! कहा ना सब मोह -माया है ! किसी की नजरों में अपनी अहमियत बनाना चाहती हो तो उसकी जरूरत बानो। तभी वह आपको चाहे गा । चाहे वह कोई भी रिश्ता हो सुनैना ‘ वह दिल में दर्द छुपाए राहुल के कंधे से लिपट गई।

— डोली शाह

डोली शाह

1. नाम - श्रीमती डोली शाह 2. जन्मतिथि- 02 नवंबर 1982 संप्रति निवास स्थान -हैलाकंदी (असम के दक्षिणी छोर पर स्थित) वर्तमान में काव्य तथा लघु कथाएं लेखन में सक्रिय हू । 9. संपर्क सूत्र - निकट पी एच ई पोस्ट -सुल्तानी छोरा जिला -हैलाकंदी असम -788162 मोबाइल- 9395726158 10. ईमेल - [email protected]