कविता

मै अपनों को ढूंढ रहा हूं

मै इस चमन में अपनों को ढूंढ रहा हूं
जैसे रात में देखे सपनों को ढूंढ रहा हूं
मैने गैरों से बहुत कुछ सुना है
मेरा इस जहाँ में कोई है तो कहाँ है
मै गैरों की बीच अपनों को ढूंढ रहा हूं
जैसे रात में देखे सपनों को ढूंढ रहा हूं
मै अपनों को ढूंढ रहा ,
हर गली- मोहल्ला,
हर पर्वत – नदी पहाड़,
फिर भी मुझे अपने न मिले
ढूंढ लिया सारा संसार
कोई तो आए,
जो मुझे अपनों का ठिकाना बताए ,
वों कहाँ रहते है उनका आशियाना बताए,
क्यूं नहीं मिल रहे मुझे अपने,
जैसे मै अपनों में अपनों को ढूंढ रहा हूं
रात को देखे सपनों को ढूंढ रहा हूं

— प्रशांत अवस्थी “रावेन्द्र भैय्या”

प्रशांत अवस्थी 'रावेन्द्र भैय्या'

आत्मज- श्रीमती रेखा देवी एवं श्री शुभकरन लाल अवस्थी. जन्मतिथि - 18 सितम्बर 2005. जन्म स्थान - ग्राम अफसरिया ,महमूदाबाद सीतापुर उ.प्र. शिक्षा- डी.एड.स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, मोबाइल नंबर -9569726127. G-mail- theprashantawasthis.pa@gmail.com