जात न पूछो खतरे की , जान लीजिए परिणाम ।
मंदिर,मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, पंडित , मूल्ला,पीर,फकीर, ज्ञानी, ध्यानी, मुनि, साधु, संत,शक्ति, भक्ति खतरे के साथ कौन-कौन से खतरे की वज़ह से खतरे में है । खेल खतरे में, खिलाड़ी खतरे में,अखाड़ा खतरे में , मैदान खतरे में, पहलवान खतरे में , रेफरी खतरे में, अंपायर न जाने किस खेल के कारण खतरे में दिखाई दे रहा है । हमारे अज्ञानता वश जानकारी के अनुसार आधुनिकता के दौर में न जाने क्या-क्या खतरे में है।सोशल मीडिया, फेसबुक,व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया जाने किस गोपनीयता के भंग होने वाले खतरे से खतरे में है इस बात का पता लगाया तो उनकी बात खतरे में आ गई । हाय रे हाय वक्त के हाथों जानवर खतरे में, जान खतरे में, वर खतरे में वधु और तो और बेवकूफ खतरे में, समझदार खतरे में है। अगाड़ी , पिछड़े , ऊंचे नीचे भाव के रहते आज किसी ने किसी के स्वार्थ के करण खतरे में दिखाई दे रहे है । प्रेम ,मानवता, दोस्ती, इश्क, नफरत, दुश्मनी खतरे के कारण टुकड़े-टुकड़े में नजर आ रही है । मास्टर खतरे में ,छात्र खतरे में ,कोचिंग खतरे में ,क्लास खतरे में,प्रयास , सफलता ,अध्ययन , धर्म ,भाषा, जाति ,आदमी ,औरत किस बंधन से बंधे हुए बंधन के कारण अभिमन्यु की तरह खतरे में दिखाई दे रहे है । आवाज खतरे में, आजादी खतरे में न जाने किस-किस अभिव्यक्ति के कारण खतरे में पड़ गई ।
कौन-कौन खतरे में नहीं है यह बात भी खतरे में है वह इसलिए की , व्यवहार, रिश्ते, नाते खतरे में है यह बताने और समझने की आवश्यकता नहीं है इसका मुख्य कारण हमारे सामने जब निकाल कर आया तो धन, दौलत, लाभ, हानी, व्यापार, व्यवसाय, उद्योग, धंधे, कारखाने खतरे से घिरे हुए होने पर हमारी रोजी-रोटी, पेट पूजा का सवाल से उत्पन्न हुए आंसुओं के खतरे में है । कार्य की अधिकता या फिर निम्नता के चलते अधिकारी कर्मचारी के स्वार्थ भरे कमीशन रूपी टारगेट की तरह अनकहे खतरे में है। घर-बार , दरबार और बार चाल , चरित्र , चित्रण के चलते खतरे में है। कहानीकार , व्यंग्यकार , नाटककार , कविताकार , गज़लकार , छंदकार जैसे कई कई विचारधाराएं वाली मानसिकता और उसके प्रभावों के ग्रसित होने के कारण से शब्द साधक … बेकार होकर सरकार खुद खतरे उतर आएं हैं । शनि की वक्र दृष्टि के कारण निर्माण होना,विध्वंस होना दोनों ही किसी अनुमति या फिर पासिंग होने न होने की वजह से सदा खतरे में रहते हैं । पता नहीं पानी में नाव या फिर लोकतंत्र में चुनाव होने से शहर में नेताजी का खतरे में दिखना और देश में पार्टी को एक दूसरे से खतरे में है ।
बाप रे बाप ये सब खतरे में है अभी मेरी पूर्ण रूप से बात खत्म नहीं हुई है मेरे दोस्तों , अब तुम ही फैसला करके मुझे बता देना कौन खतरे में है? कौन खतरे में नहीं है? अगर मेरी कोई बात खतरे में आ जाए तो यह पढ़ने वाले के ऊपर निर्भर करता है कि वह किस विचारधारा की धारा में बहते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें क्योंकि वह तो आलोचक या फिर समालोचक बनकर अपनी बात रखेगा । इस जीवन में इतना खतरा है कि अब तो खतरा भी खतरे की तरह खतरनाक रूप से नजर आ रहा । यहां पर सब प्रकार का खतरा देख देख कर और फिर सुन सुनकर खतरा भी अब खतरे के निशान से ऊपर खतरनाक तरीके से दिखाई दे रहा है ।
इस मामले को देखते हुए शहर के ख्याति प्राप्त फर्जी साहित्यकार पी एच डी में कुछ इस तरह से अपनी बात कही …
जात न पूछो खतरे की, जान लीजिए परिणाम ।
मोल करो समय का, रहना है सबको सावधान ।।
— प्रकाश हेमावत