महेश दर्पण का आत्मीय सम्मान
हापुड़ की संस्था ‘दीपशिखा संस्थान’ की ओर से वरिष्ठ कथाकार-संपादक महेश दर्पण का आत्मीय सम्मान किया गया। इस अवसर पर सम्मानित लेखक ने कहा: रचनाकार अपनी रचना के माध्यम से बोलता है। हम जो जीवन जिएं वही रचें, नकली से बचें।
संस्थान के निदेशक डॉ.अजय गोयल एवं संयोजक डॉ. दीपशिखा ने अतिथियों का स्वागत किया और इस आत्मीय आयोजन की मूल भाव-भूमि प्रस्तुत की। बताया कि प्रति वर्ष एक रचनाकार को उसके उल्लेखनीय योगदान के लिए कृतज्ञतापूर्वक 50,000 रुपये की राशि एक सादे किंतु आत्मीय समारोह में प्रदान की जाती है। हापुड़ के निदान हॉस्पिटल के सभागार में आयोजित इस समारोह में वरिष्ठ आलोचक और हिंदी-उर्दू के विद्वान डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा : महेश दर्पण की कहानियां और उपन्यास मानवीयता की पक्षधर रचनाएं हैं। यदि वह बीसवीं शताब्दी की हिंदी कहानियां के संपादन के अतिरिक्त और कुछ न भी करते तो उनका योगदान अविस्मरणीय होता।संभावना प्रकाशन के अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि इससे पूर्व यह सम्मान अशोक अग्रवाल, नफीस आफरीदी, से रा यात्री और कथादेश के संपादक हरिनारायण को प्रदान किया जा चुका है।
सुप्रसिद्ध अनुवादक और साहित्य व आलोचना को समृद्ध करने वाली मधु बी जोशी का कहना था – 1988 के आस-पास से मैं महेश जी को जानती-पढती आ रही हूँ। सम्पादन में उनके महत्वपूर्ण काम की मैं प्रशंशक हूँ। हिंदी के चर्चित व्यंग्यकार और व्यंग्य के इतिहासकार सुभाष चंदर ने कहा कि महेश दर्पण ने कहानी लेखन और सम्पादन के अतिरिक्त बहुत सुंदर यात्रावृत्त और संस्मरण भी लिखे हैं। रमेश बत्तरा पर उनका संस्मरण अद्भुत है। पत्रकार- लेखक आलोक यात्री ने कहा: लेखन के शुरुआती दौर में महेश जी से प्रोत्साहन मिला। हमारी पीढ़ी उन्हें लगातार पढती रही है। कथाकार विपिन जैन ने कहा: मैं अपनी रचनाएँ उन्हें प्रकाशनपूर्व दिखाता रहा हूँ। उनसे मुझे बहुमूल्य मार्गदर्शन मिलता है।
समारोह के अध्यक्ष और वरिष्ठ कवि डॉ. अशोक मैंत्रेय ने कहा: महेश दर्पण की साहित्य साधना से हम सब लंबे समय से परिचित हैं। दीपशिखा की ओर से उन्हें सम्मानित कर हम साहित्य की समृद्ध परंपरा का सम्मान कर रहे हैं। आयोजन में अनेक लेखक, प्रकाशक, पत्रकार और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।