कविता

मैं तुम्हें मांग लूंगा।

तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मै भी तुम्हारे लिए रखूँगा।
तुम मेरे हाथ में अपना हाथ देना, मै जिंदगी भर तुझे साथ रखूँगा ।
तुम मुझे नवरात्रि में देवी माँ से माँग लेना, मै तुम्हें शिवरात्रि में भगवान शंकर से माँग लूंगा।
तुम मेरे लिए करवाचौथ का व्रत रखना, मै चाँद बनके हमेशा तेरे जीवन में चमकूंगा।
तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मैं भी तुम्हारे लिए रखूँगा।
जहाँ में समझ लेना तेरा और मेरा कोई नही है।
तुम मेरा हाथ थाम लेना मै तुम्हारा हाथ थाम लूंगा, आए जब कजरीतीज तो माँ पार्वती से तुम मुझे मांग लेना,
मै भगवान शंकर से तुम्हे माँग लूंगा।।
तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मै भी तुम्हारे लिए रखूँगा।
तुम मेरा साथ देना मै जीवन भर तुझे अपने पास रखूँगा।।
तेरा और मेरा मिलना एक इत्तफाक था, तुम मिलो या न मिलो फिर भी मैं तेरी सादगी को याद रखूँगा।
तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मैं भी तुम्हारे लिए रखूँगा..।।
तुम मेरे लिए अपने घर बात करना, मै तेरे लिए अपने घर बात करूंगा। होगी अगर सहमती तो
शादी रचा के ही तेरी माँग भरूँगा ।
तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मैं भी तुम्हारे लिए रखूँगा।
हो गया अगर तेरा-मेरा मिलन तो सदा, तेरा ख्याल रखूँगा।
तुम मुझको चाहो या न चाहो, मै फिर भी तुमको चाहूंगा।
तुम मेरे लिए सोलह सोमवार के व्रत रखना, मैं भी तुम्हारे लिए रखूँगा ।

— प्रशांत अवस्थी “रावेन्द्र भैय्या”

प्रशांत अवस्थी 'रावेन्द्र भैय्या'

आत्मज- श्रीमती रेखा देवी एवं श्री शुभकरन लाल अवस्थी. जन्मतिथि - 18 सितम्बर 2005. जन्म स्थान - ग्राम अफसरिया ,महमूदाबाद सीतापुर उ.प्र. शिक्षा- डी.एड.स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, मोबाइल नंबर -9569726127. G-mail- [email protected]

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