कविता

कहाँ किसे मिला

भाग्य में रच दिया जो
सबको वही मिला है
जो है सब उसका दिया हुआ
कोसने से कहाँ किसे कुछ मिला है

इंतजार में हम थे कि,
कोई हमें देखने आएगा
छलावे की दुनिया थी ये
मांगने से कहाँ किसे कुछ मिला है

सोचा बरसात आएगी पतझड़ बाद
सावन फिर महकायेगा आलम
पुराने दर्द ले आयी साथ
बारिश में सुकून कहाँ किसे मिला है

हमदर्द की तलाश में
न जाने कितनी ठोकर खायीं
ये स्वार्थी दुनिया में
शुभचिंतक कहाँ किसे मिला है

सर्द रातों में तपिश की कसक में
दुशाला लेके बैठे जब
झेल नहीं सका वो
इतना दर्द कहाँ किसे मिला है

सौम्या अग्रवाल

पता - सदर बाजार गंज, अम्बाह, मुरैना (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तक - "प्रीत सुहानी" ईमेल - [email protected]