पुस्तक समीक्षा

संजीदा भावनाओं का अद्भुत मिश्रण है- भीगते सावन

कहानीकार सुरेश सौरभ का कथा संसार दूसरों से बिलकुल अलग है। इनकी कहानियों में अपनापन होता है। साहित्य प्रेमी इनकी कहानियों से ऐसे जुड़ते हैं, जैसे धरती के साथ आसमान, चांद के साथ सूरज और फूल के साथ खुश्बू यही अपनापन कहानियों को तो खास बनाता है ही साथ ही उस किताब को और महत्वपूर्ण बना देता है, जिस किताब में ये सभी कहानियाँ संग्रहित होती है।
जी हां ‘भीगते सावन’ एक ऐसी ही किताब है, जो कि एक कहानी संग्रह है, इस किताब में प्रकाशित पहली कहानी ‘एक था ठठेरा’ पाठकों को अतीत की दुनिया में चहल-कदमी कराती हैं। जहाँ पता चलता है कि पुरानी चीज़ों की क्या अहमियत होती हैं। इसी तरह संग्रह में एक और बेहतरीन कहानी है, ‘पटाक्षेप’ इस कहानी में स्त्री के प्रति आदर भाव को जिस तरह से पेश किया गया है, उसे पढ़ते हुए, कहानी और चरित्र के प्रति आत्मीयता का सा भाव प्रकट होता है। एक मुख्यमंत्री की बर्थडे पार्टी में एक इंजीनियर को कैसे बलि की बेदी पर चढ़ाया गया। पटाक्षेप कहानी यह पटाक्षेप करती है।
मरणोपरांत होने वाले मृत्युभोज पर प्रहार करती कहानी ‘आखिरी खत’ समाज में फैली ऐसी कुरीति को दर्शाती है, जिसे अनावश्यक लोगों के साथ जबरदस्ती जोड़ दिया गया है, जो कुप्रथा होते हुए भी लोगों को मजबूरन सादियों से निभाना पड़ रहा है। आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कर्ज में दबकर जान गंवानी पड़ रही है। कोरोना काल के दौर में घटित यह कहानी एक पाठक के तौर पर मुझे सर्वाधिक प्रिय लगी । इन कहानियों के अलावा संग्रह में विश्वास लौट आया, भीगते सावन, प्रकाश चला गया, आप के एहसासों में रहूंगी, रैली, मुर्गी चोर, आतंकी, औलाद के आंसू जैसी कुल ग्यारह कहानियाँ इस संग्रह में चयनित की गईं हैं। सभी कहानियाँ गम्भीर सामाजिक मुद्दों और भ्रष्ट व्यवस्था आदि गंभीर विषयों की गहनता से पड़ताल करती हैं। सुरेश सौरभ जी की लेखनी पूरी ईमानदारी से चलती है। कुशल लेखन शैली और बेहतरीन कथानक पर बुनी संग्रह की सभी कहानियाँ पढ़ने लायक हैं। पाठक इन कहानियों से जुड़ेंगे ऐसा मुझे विश्वास है। यह पठनीय संग्रह है।

समीक्षक – शिव सिंह ‘सागर’

पुस्तक – भीगते सावन
लेखक – सुरेश सौरभ
प्रकाशक – अद्विक पब्लिकेशन प्रा. लि. नई दिल्ली
मुल्य – 160 ₹
प्रकाशन वर्ष-2024

सुरेश सौरभ

शिक्षा : बीए (संस्कृत) बी. कॉम., एम. ए. (हिन्दी) यूजीसी-नेट (हिन्दी) जन्म तिथि : 03 जून, 1979 प्रकाशन : दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, हरिभूमि, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, सोच विचार, विभोम स्वर, कथाबिंब, वगार्थ, पाखी, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून सहित देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में सैकड़ों लघुकथाएँ, बाल कथाएँ, व्यंग्य-लेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास), नोटबंदी, तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली, बेरंग (लघुकथा-संग्रह), अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य), नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया (कविता-संग्रह) संपादन : 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जनपद के कवि, तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गालियाँ विशेष : भारतीय साहित्य विश्वकोश में इकतालीस लघुकथाएँ शामिल। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया में लघुकथाओं एवं हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा। कुछ लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण। चौदह साल की उम्र से लेखन में सक्रिय। मंचों से रचनापाठ एवं आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ। कुछ लघुकथाओं का उड़िया, अंग्रेज़ी तथा पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद। सम्मान : अन्तरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान, लखीमपुर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा सम्मानित। सम्प्रति : प्राइवेट महाविद्यालय में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : निर्मल नगर, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) पिन कोड- 262701 मोबाइल- 7860600355 ईमेल- [email protected]