राजनीति

भारतीय टेलीफोन इण्डस्ट्रीज़ (इण्डियन टेलीफोन इण्डस्ट्रीज़) की दुर्गति की रामकहानी

अडानी पर तो बहुत बातें चल रही हैं, आइये एयरटेल कंपनी के सुनील मित्तल पर भी बात करते हैँ….?? कैसे एक छोटा सा कमीशन व्यापारी आज 7 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक बन गया। सबकुछ कांग्रेस की मेहरबानी से…. या फिर यूं कहें गांधी परिवार की कमीशन खोरी की बदौलत ??

Airtel के बनने और ITI यानी इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री के बिकने के पीछे की सच्चाई इनसाइड कहानी….??

सन 1970….. पंजाब कांग्रेस के एक थे सत्यपाल मित्तल! *वे नगर निगम के पार्षद थे। फिर MLC और पंजाब सरकार में उप-मंत्री थे, दो बार कांग्रेस द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुना गया था। मित्तल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और 1972 में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रहे! उनके तीन लड़के थे राजन मित्तल, राकेश मित्तल ओर सुनील मित्तल?
दो लड़के कहीं नौकरी करते थे लेकिन सुनील मित्तल लुधियाना में साइकिल बनाने वाली कंपनियों में कमीशन पर पार्ट सप्लाई व साइकिल बनाने वाली ancillary units को कैश फ्लो के लिए ब्याज पर पैसा देने का काम करता था!!
उसी दरम्यान उसके पिता सत्यपाल मित्तल कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद बन जाते हैं??
अब चमत्कार देखिए कैसे विकास होता है??

पिता के कांग्रेस से सांसद बनने के बाद बेटा सुनील भारती मित्तल एक कंपनी बनाता है
“भारतीय में ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी”।

अब देखिए कांग्रेस के वित्त मंत्रियों का खेल कैसे होता है??? उस समय तक भारत में लोकल उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, साइकिल के पार्ट्स इंपोर्ट करने पर 300% ड्यूटी का प्रावधान था, लेकिन इनकी फर्म को ड्यूटी में छूट देदी गई और इन्होंने चाइना से साइकिल के पार्ट्स इंपोर्ट करके मोटा मुनाफा कमाया और इनके इम्पोर्ट के परिणाम स्वरूप लुधियाना में सैकड़ों छोटी साइकिल ancillaries बंद हो गईं !

उसके बाद……..
उस जमाने में भारत में बिजली बहुत कम रहती थी। भारत सरकार ने जनरेटर इंपोर्ट करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। अब सेटिंग देखिये अचानक पूरे भारत से सिर्फ एक फर्म को यानी “भारती ओवरसीज” को विदेश से जनरेटर इंपोर्ट करने का अनुमति दी जाती है।

फिर क्या था, सुनील मित्तल ने सुजुकी कंपनी के और होंडा के करोड़ों जनरेटर इंपोर्ट करके मोटा मुनाफा कमाया। प्रसिद्ध TV सीरियल्स के प्रसारण के समय पर इनके इशारों पर बिजली गुल होती थी।

उसके बाद सुनील भारती मित्तल को देश में बड़े उद्योगपति के रूप में जाना जाने लगा उस समय ‘टेलिकॉम इंडस्ट्री’ पूरी तरह से सरकारी होती थी।

इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज यानी ITI ही टेलीफोन बनाती थी। यहां पर एक बात ध्यान रखें कि भारत में आप विदेश से टेलीफोन इंपोर्ट नहीं कर सकते थे !!

पूरे भारत में सिर्फ लैंडलाइन फोन होता था, फोन भी सरकार देती थी और वो कई किलो वजन का रोटरी डायल वाला फोन होता था!!

सेटिंग के चमत्कार से अचानक सुनील भारती मित्तल को ताइवान की कंपनी किंगटेल से पुश बटन वाले फोन इंपोर्ट करने का लाइसेंस मिल जाता है और इतना ही नहीं, उनसे वह सारे ही फोन भारत सरकार का टेलीफोन विभाग खरीदने लगता है, यानी इंपोर्ट कर रहे थे सुनील भारती मित्तल और खरीदार था भारत सरकार का टेलीफोन विभाग!!

पूरे भारत में इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज की 12 से ज्यादा फैक्ट्रियां थी लगभग बन्द जैसी हो गई । 15,00,000 कर्मचारी और अधिकारी थे उन्हें मुफ्त में सैलरी देती दी जाती रही और सरकार विदेशी टेलीफोन सुनील भारती मित्तल से खरीद रही थी!!

उसके बाद सुनील भारती मित्तल ने ताइवान की कंपनी किंगटेल के मदद से भारत में पुश बटन टेलीफोन बनाने की फैक्ट्री ही लगा ली और अपने फोन को BSNL & MTNL में सप्लाई करने लगे!!

धीरे-धीरे सरकारी कंपनी इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज बर्बाद हो गई बंद हो गई।

अब जब उसी मरी हुई कंपनी को मोदी सरकार इसलिए बेच रही है कि वह कंपनी अब सरकार के गले में एक मरा हुआ सांप है, तब सबसे पहले यही कांग्रेसी चिल्ला रहे हैं कि मोदी सरकार तो सरकारी कंपनी बेच रही है।

कांग्रेसियों ! याद करो कि तुम्हारे ही कुकर्मों और भाई भतीजावाद से इन सरकारी नवरत्न कंपनियों की ये दुर्गति हुई है !!!

आज कांग्रेसी, वामपंथी से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका ईसाई वाड्रा – “अंबानी अडानी” चिल्ला रहे हैं……??
जबकि गुजरात में बीजेपी के सत्ता में आने के पहले ही, अंबानी और अडानी खरबपति बन चुके थे !!!

तो बतर्ज़
“अथ श्री महाभारत कथा” की तरह से
ये थी दास्तान बर्बादे आईटीआई कथा बस फर्क सिर्फ इतना है कि अब इसकी पृष्ठभूमि में दबे रहस्यों से पर्दा उठ रहा है और खानदानी डकैत बेपर्दा होकर आमजनता के सामने आते जा रहे हैं और इनका व इनके चिन्टुओं का विधवा विलाप इसी बात को लेकर है कि पार्टी के प्रथम परिवार को निर्वस्त्र कर जुलूस निकाला जा रहा है।

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