शतरंज की दुनिया का नया नायक -डी गुकेश
भारत के शतरंज प्रेमियों के लिए वर्ष 2024 का लेखा – जोखा 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने सुनहरे अक्षरों में उस समय लिख दिया जब उन्होंने सिंगापुर में गत चैंपियन चीनी ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन को फिडे विश्व चैंपियनशिप में 14 बाजियों में मात दी और विश्व शतरंज के सबसे युवा चैंपियन बन गये। क्लासिकल शतरंज की शुरुआती 13 बाजियों में 6.5-6.5 अंक से बराबरी पर चल रहे दोनों खिलाडियों को टाई ब्रेकर में जाने से बचने के लिए यह मैच किसी भी हाल में जीतना था और गुकेश ने यह बाजी अपने नाम करके इतिहास रच दिया।
भारत के पूर्व शतरंज मास्टर विश्वनाथ आनंद के बाद डी गुकेश ऐसे दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने यह वैश्विक खिताब अपने नाम किया है। गुकेश के पूर्व पूर्व सोवियत संघ के गैरी कास्परोव ने 22 वर्ष की अवस्था में यह ख़िताब अपने नाम कर इतिहास रचा था जिसको 18 वर्षीय गुकेश ने ध्वस्त कर दिया है। यह ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने के साथ ही डी गुकेश को 21.21 करोड़ रूपये की धनराशि प्राप्त हुई है।
वर्ष 2024 शतरंज की दुनिया में भारत और डी. गुकेश के लिए बहुत ही शानदार रहा है। इस वर्ष गुकेश ने कैंडिडेट टूर्नामेंट जीतकर लिरेन को चुनौती देने का अधिकार प्राप्त किया और इस प्रकार वह विश्व चैंपियन को चुनौती देने वाले पहले सबसे युवा भारतीय बने। उन्होंने यह खिताब विश्व नंबर 2 कारुआना, विश्व नंबर तीन नाकामुरा और भारत के प्रागनानंदा की उपस्थिति में जीता। इसी वर्ष उन्होंने भारत को पहली बार चेस ओलंपियाड चैंपियन बनाया। गुकेश ने यहां शीर्ष बोर्ड पर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता।ओलम्पियाड में भारत ने महिला और ओपन दोनों वर्ग में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था।
इससे पूर्व डी गुकेश ने 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैपिंयनशिप ओर अंडर- 12 श्रेणी में 2018 में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप का अंडर -9 वर्ग जीता। गुकेश इससे पहले अंडर-12 व्यक्तिगत रेपिड और ब्लिटज अंडर -12 टीम रैपिड और ब्लिटज और अंडर 12 शास्त्रीय प्रारूपों में 2018 एशियाई युवा शतरंज में पांच स्वर्ण जीतकर इतिहास रच चुके हैं। वह मार्च 2018 में फ्रांस में 34वें ओपन डे कैंपले ला ग्रांडे शतरंज टूर्नामेंट के समापन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे युवा खिलाड़ी बने और अब वे विश्व चैपिंयन हैं।
गुकेश का जन्म चेन्नई में 29 मई 2006 को हुआ, इनके पिता डा. रजनीकांत और माता डा. पद्मा हैं। गुकेश को बचपन से ही शतरंज खेलने का शौक था और उन्हें घर से बाहर जाना पड़ता था इसलिए उनके पिता ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। गुकेश की प्रारम्भिक शिक्षा उस विद्यालय में हुई है जहां से कार्तिकेयन, अरविंद चिदंबरम, प्रगनानंद जैसे ग्रैंडमास्टर निकल चुके हैं। गुकेश ने शतरंज का अभ्यास मात्र 7 वर्ष की अवस्था से ही आरम्भ कर दिया था और वह बचपन से ही शतरंज की दुनिया के नये सबसे युवा नायक बनना चाहते थे, अब उनका यह सपना पूरा हो चुका है। उनके विद्यालय कोच भास्कर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना था और उन्हें प्रशिक्षण देना प्रारम्भ किया।
आज संपूर्ण भारत गुकेश को बधाई दे रहा है । राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित अनेक राजनेताओं व हस्तियों ने उनको बधाई दी है। जीत के बाद गुकेश की आंखों में खुशी के आंसू थे और चेहरे पर मुस्कान।अपनी विजय के बाद डी गुकेश ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे बेहतरीन पल है। गुकेश का प्रदर्शन शतरंज के युवा भारतीय खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा की तरह काम करेगा।
— मृत्युंजय दीक्षित