कविता

हे प्रभु !

हे प्रभु ! दया करो
मन मेरा भटका
इसको सुधारो ।

जीवन निरर्थक लगता
घोर अशांति छायी
प्रभु तुम बिन सब
सूना-सूना लगता ।

हे प्रभु ! दया करो
संसार में आसक्त हूं
डूबती नैया, पार करो ।

निष्काम प्रेमी बनूं
निर्भय सदा रहूं
सद्भाव हृदय में हो
सदा आत्मा की सुनूं

हे प्रभु ! दया करो
निरभिमानी हो जाऊं
दयानिधि ऐसी दया करो ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

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