भजन/भावगीत

कृपा तुम्हारी भगवन

कृपा तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है
उपवन में फूल खिला रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
रवि-चंद्र चमका रही है
तारे टिमटिमा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
हर जीव में सांस चला रही है
वसुंधरा पर प्राण वायु बहा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
सागर गहरा बहा रही है
ऋतुओं का करतब दिखा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
संपूर्ण ब्रह्मांड में वर्णन हो रही है
भक्ति की शक्ति लुभा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
ज्ञान की ज्योति जला रही है
हृदय में उत्साह- उमंग भर रही है ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

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