दिल को छू जाने वाले हृदयस्पर्शी गीत
गीत संग्रह प्यार को मरने न दूँगा
लेखक- लव कुमार ‘प्रणय’
प्रकाशक- शब्दांकुर प्रकाशन,नई दिल्ली
ये संग्रह मुझे कल ही प्राप्त हुआ है। साहित्य पर जबरदस्त पकड़ रखने वाले आदरणीय लव कुमार ‘प्रणय’ जी का मुक्तकों, गीतिकाओं,ग़ज़लों के संग्रह के बाद ये गीत संग्रह प्रकाशित हुआ है।
काव्य संग्रह ‘प्यार को मरने न दूँगा’ में ऐसे-ऐसे दिल को छू जाने वाले गीत हैं,जिन्हें पढ़कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। ये संग्रह कुल नब्बे गीतों का संकलन है। सारे के सारे गीत एक से बढ़कर एक हैं ।प्रणय जी ने हर विषय पर अनेक खूबसूरत गीत लिखे हैं।यथा –
पुस्तक के नाम को सार्थक करती पंक्तियाँ-
प्यार को मरने न दूँगा, प्यार को जिंदा रखूँगा ।
दो कदम तुम भी चलो प्रिय,दो कदम मैं भी चलूँगा।
आपका एक और बेहतरीन गीत-
मैं तो सागर हूँ अभिशापों से भरा हुआ।
मेरा मंथन करके भी तुम पछताओगे।
इसी संदर्भ में कुछ और गीत –
साथ जब माँगा सुखों का, दर्द ने आकर छुआ है।
अब किसी से क्या कहें हम,जो हुआ अच्छा हुआ है।
एकाकीपन भी है, निंदिया भी रूठी है।
गीत मुझे गाने दो, गीत मुझे गाने दो।।
ऐसे ही प्यार भरे गीतों के साथ – साथ अन्य विषयों पर भी अनेक हृदयस्पर्शी गीत इस संकलन में हैं। कुछ उदाहरण-
प्यार की दौलत लुटाना सीखिए।
आँख से आँसू चुराना सीखिए।
मैं यहाँ जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा।
ज़ुल्म के आगे नहीं हरगिज़ झुकूँगा।
देखकर व्यवहार जग का मन दुखी है।
आत्मा घायल पड़ी है, तन दुखी है।।
पाठकों के संदर्भ हेतु कुछ गीतों के मुखड़े जो मुझे बहुत अच्छे लगे-
बेटियों को सदा प्यार करते रहो
शिव नहीं बन सके
हमारी ज़िंदगी
खड़ी न कर दीवार
तुम वीणा के तार बजाओ
इसके अतिरिक्त अनेक गीत संकलन में हैं जो पाठकों के हृदय को स्पर्श करने में सफल होंगे,ऐसा मेरा विश्वास है। सरल और सहज हिन्दी भाषा में लिखे गीतों का ये संकलन काव्य में रुचि रखने वाले मनीषियों के लिए अमेजन पर उपलब्ध है।
मैं आदरणीय भाई प्रणय जी के इस अनुपम गीत संग्रह के प्रकाशन पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके साहित्य सृजन की निरन्तर प्रगति की कामना करता हूँ । आपने मेरा भी कई बार मार्ग दर्शन किया है । आपका एक गुण और है शालीनता,आप कितनी शालीनता से बात को समझाते हैं उसकी प्रशंसा में मेरे पास शब्द नहीं है केवल सादर नमन ।
आपका अनुज
रमेश शर्मा