नये साल में!
हों स्वप्न सभी साकार आपके
नये साल में !
घर बाहर सूरज समृद्धि की
किरणें बरसाएं
सन्ध्यायें सुख-सुविधाओं के
मंगल दीप जगायें
स्वागत के सामान लिये हों
सभी थाल में !
हों स्वप्न सभी साकार आपके
नये साल में!
मन तरुवर में उगें कोपलें
नई निरन्तर
वाद- विवाद सभी मिट जाएं
दिखे कहीं न अन्तर
नेह सुगन्धित पुष्प खिलें फिर
डाल-डाल में !
हों स्वप्न सभी साकार आपके
नये साल में!
अधर अधर पर मुस्कानें ही
मुस्कानें हों
और क्षितिज छूने के खातिर
नई उडा़ने हों
भूले से भी भटक न जाना
चपल-चाल में !
हों स्वप्न सभी साकार आपके
नये साल में!
आतंको से मुक्त धरा का
हो कोना -कोना
विश्व बन्धुता बढे़,किसी को
पडे़ न कुछ खोना
कसम तुम्हें है फस मत जाना
नये जाल में !
हों स्वप्न सभी साकार आपके
नये साल में!
~- जयराम जय