राजनीति

गोमाता की सेवा हेतु धार्मिक आश्रमों, गोशालाओं में शासन से सुविधा प्राप्त हो

सर्वप्रथम तो गोहत्या बंद होना चाहिए। प्रदेश में गोवंश पालने वालों को मिलेगा क्रेडिट कार्ड की खबर भी सुर्खियों में आई। दस से अधिक गोवंश पालने वालों को विशेष अनुदान दिया जाएगा। इससे दुग्ध उत्पादन में देश में मप्र की भूमिका बढ़ेगी। महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय संस्कृति,कृषि और स्वास्थ्य देखभाल में स्वदेशी गाय को औपचारिक रूप से ‘राजमाता -गौ माता ‘ का दर्जा दिया है। मध्यप्रदेश में भी ” राज्य माता – स्वदेशी गौ माता” का दर्जा दिया जाना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसारप्रति वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गाय की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि गोपाष्टमी की संध्या पर गाय की पूजा करने वाले लोगों को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है. गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा करने का विशेष महत्व है.धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गौचारण शुरू किया था। इसलिए इसी तिथि पर गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि इससे सभी प्रकार के अभीष्ट सिद्ध होते हैं। देखा जाए तो बज बारस,गोवर्धन पूजा, गोधूलि वेला का महत्व काफी है।
माननीय डॉ मोहन यादव जी ने गोवंश हित में लगे रहकर जो पुनीत निर्णय लिए है। उनकी गोवंश सेवा के प्रति भक्ति वाकई प्रेरणादायक है। इससे जागृति अवश्य आएगी। गो भक्ति के सतत प्रयास से आने वाले समय में मध्यप्रदेश नंबर वन पर आएगा। माननीय डॉ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी ने प्रदेश की जनता से अपील की अगर आपके पास के हित पर्याप्त जगह है तो गाय अवश्य पाले। देखा जाए तो हमारा पूरा जीवन गाय पर आधारित है। गाय की देखभाल भी आवश्यक है क्योकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। अतः मध्यप्रदेश में राज्य माता-स्वदेशी गौ माता” का दर्जा दिया जाना चाहिए। तम्बाकू एवं फलों की खेती से पशुओं के लिए चारे के संकट दिनों दिन गंभीर होता जा रहा है। पशुपालन,घी दूध महंगा होता जा रहा है। चारे के अभाव होने से पशुओं के लिए चारे का आहार का प्रतिशत काफी कम हुआ। चरवाह भूमि में बरसात में उगी घास से वे अपना उदर पोषण कर लेते मगर शेष मौसम उनके लिए दुखदायी होते है। पशुओं के लिए खेत मे कुछ भाग चारे जैसी फसल के लिए रखना आवश्यक है। तम्बाकू,एवं फलों आदि की फसल से चारे का पशुओं के लिए मिलना कठिन होता है। महंगे भाव का चारा बाहर गांव जाकर खरीद कर खिलाते है। जो उनके बजट के अनुकूल नही होता। खेत भी अब कालोनियों में तब्दील होते जा रहे है। भविष्य में पशुओं के आहार की समस्या विकराल रूप ले लेगी। कम रुपयों में गांवों में हरा,या सूखा चारा उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था की दरकार है। ताकि पशु आहार सुलभता से उपलब्ध हो सकें। प्रदेश में गोवंश पालने वालों को मिलेगा क्रेडिट कार्ड की खबर समाचार पत्रों में पढ़ने को आई। दस से अधिक गोवंश पालने वालों को विशेष अनुदान दिया जाएगा। इससे दुग्ध उत्पादन में देश में मप्र की भूमिका बढ़ेगी। महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय संस्कृति,कृषि और स्वास्थ्य देखभाल में स्वदेशी गाय को औपचारिक रूप से ‘राजमाता -गौ माता ‘ का दर्जा दिया है। मध्यप्रदेश में भी ” राज्य माता – स्वदेशी गौ माता” का दर्जा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री माननीय डॉ मोहन यादव जी ने गोवंश हित में लगे रहकर जो पुनीत निर्णय लिए है। उनकी गोवंश सेवा के प्रति भक्ति वाकई प्रेरणादायक है। इससे जागृति अवश्य आएगी। गो भक्ति के सतत प्रयास से आने वाले समय में मध्यप्रदेश नंबर वन पर आएगा। माननीय डॉ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी ने प्रदेश की जनता से अपील की अगर आपके पास के हित पर्याप्त जगह है तो गाय अवश्य पाले। देखा जाए तो हमारा पूरा जीवन गाय पर आधारित है। गाय की देखभाल भी आवश्यक है क्योकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। अतः मध्यप्रदेश में राज्य माता-स्वदेशी गौ माता” का दर्जा दिया जाना चाहिए। बीमारियों की इलाज की लिए म्यूजिक थेरेपी इंसानो पर ही कारगर नहीं है इससे गोवंश का भी इलाज हो रहा है भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का प्रमुख स्थान है। गुजरात के नड़ियाद में बांसुरी की धुन सी एक लाख गाय का इलाज किया गया। बांसुरी की धुन को रिकार्ड कर देश भर की गौशालाओ में आडियो मुफ्त में दिया जावेगा। बांसुरी की धुन से स्ट्रेस लेवल घटता है। विदेशो में भी अब गाय के स्पर्श को प्राथमिकता दी जाकर स्ट्रेस कम किये जाने का चलन हो चूका है जिससे बींमारी ठीक होती है। गाय हमें सात्विक श्रद्धा प्रदान करती है। गौवंश की महिमा के बारे में ग्रँथों में उल्लेख है। गौ माता का (गोधूलि वेला ) जंगल से घर वापस लौटने का संध्या का समय अत्यंत शुभ एवं पवित्र है। गाय का मूत्र गौ औषधि है। माँ शब्द की उत्पत्ति गोमुख से हुई है। मानव समाज में भी माँ शब्द कहना गाय से सीखा है। जब गौ वत्स रंभाता है तो” माँ” शब्द गुंजायमान होता है। गौ हत्या हो रही है उस पर रोक लगनी चाहिए। गाय का गोबर,मूत्र ,दूध एक धन संपदा के रूप में हमें उपहार देती आई है। जिससे हमारे धार्मिक कार्य पूर्ण होते आये है। गोमाता के सभी अंगों में देवी देवताओं का वास माना गया है। भगवान कृष्ण को जब नज़र लगी थी तो गाय की पूंछ से उनकी नजर उतारने की घटना प्राचीन ग्रँथों में उल्लेख किया गया है। समुद्र मंथन के रत्नों में एक गोमाता भी निकली थी। धार्मिक आश्रमों, गौशालाओं में गोमाता के आहार एवं स्वास्थ्य की देखभाल हेतु शासन से पर्याप्त सुविधा मिलनी चाहिए ताकि सेवादारों पर आर्थिक भार न पड़े। क्योंकि वे गोमाता की सेवा तो करते ही है किंतु आर्थिक समस्या का भार से मुक्त होकर बिना चिंता के बेहतर सेवा दे सकें। गोवंश की रक्षा हेतु सभी को जागृत रहना होगा माननीय डॉ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी ने प्रदेश की जनता से अपील की अगर आपके पास के हित पर्याप्त जगह है तो गाय अवश्य पाले। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है “गावो विश्वस्य मातर :”अर्थात गाय विश्व की माता है। देखा जाए तो हमारा पूरा जीवन गाय पर आधारित है। गाय की देखभाल भी आवश्यक है क्योकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। अतः मध्यप्रदेश में राज्य माता-स्वदेशी गौ माता” का दर्जा दिया जाना चाहिए।

— संजय वर्मा “दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच

Leave a Reply