वक्फ़ बोर्ड के कारनामे
हमारे अपने सामने, इंटरनैट के इस युग में, हम देख पा रहे हैं कि वक्फ़ बोर्ड ने किस तरह प्रपंच और झूठ-कूट का सहारा लेकर देशभर में अगण्य संपत्ति पर अवैध नियंत्रण कर लिया है । ये तो दैवीय संयोग है कि केंद्र में मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी जैसे राजपुरुषों की सरकार है, तब इस वक्फ़ बोर्ड के कारनामे निकलकर आ रहे हैं ।
आप कल्पना करें कि जब देश में इन्हीं कन्वर्टिड मुस्लिमों के ‘मानसिक पूर्वज’ विदेशी मूल के अरब-तुर्क-अफ़ग़ान-उज़बेक आदि का राज था, तब किस तरह उन्होंने पहले से ही बने-बनाए हिंदू-भवन कब्ज़ाए होंगे । शाहजहां द्वारा आमेर के शासक महाराज जयसिंह का बनवाया ‘तेजोमहालय शिव मंदिर’ इसी तरह छीन लिया गया था । उससे भी बहुत-बहुत पहले से यह सब चला आ रहा था । क़ुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर बहादुरशाह ‘ज़फ़र’ तक यही सब चलता रहा । सारे के सारे वे भवन, जो मध्यकालीन मुस्लिम-बादशाहों द्वारा बनवाए बताए जाते हैं, वास्तव में पूर्वकालिक हिंदू-भवन हैं । सारे महल, क़िले, मकबरे, बावड़ियाँ, मज़ार, मीनारें, हवेलियाँ आदि सब कुछ मूलतः हिंदू-भवन हैं ।
मध्यकालीन मुस्लिम-सुल्तानों ने यदि कुछ किया भी है, तो वह निर्माण नहीं बल्कि विध्वंस ही है । जैसे अभी कुछ दिन पहले दिलीप मंडल जी ने स्वीकार किया कि फ़ातिमा शेख़ नाम की कोई स्त्री थी ही नहीं । वह तो केवल उन (दिलीप मंडल) की झूठी रचना थी । ठीक इसी तरह हमारे देश के मध्यकालीन इतिहास में लगभग सारा ही झूठ लिखा गया है । फिर यही झूठ हमें सिलेबस में घोटकर पढ़ाया गया । आज तक भी वही सब झूठा नैरेटिव चला आ रहा है । पता नहीं कब इस झूठे सिलेबस से मुक्ति मिलेगी और हमें अपने महान पूर्वजों के वास्तविक संघर्ष के बारे में पता चलेगा ! ये तो भगवान भला करे इंटरनैट बनाने वाले का, जो अब सारी बातें निकलकर आ रही हैं । नहीं तो हमें कभी कुछ भी पता नहीं चलने दिया जाता !
— सागर तोमर