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फिल्म गाइड की सौन्दर्य-स्वामिनी रोज़ी : वहीदा रहमान

यदि समाज के समस्त चारित्रिक घटनाक्रम साहित्य में प्रतिबिम्बित होता है, तो उस घटनाक्रम का जीवंत दर्शन होता है सिनेमा में। सिनेमा सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं साहित्यिक घटनाक्रमों को सार्वजनिक रूप से उजागर करने का साधन है; और इसीलिए यह साधन चलचित्र कहलाता है। सिनेमा न सिर्फ मनोरंजन का एक जरिया है, बल्कि विभिन्न शिक्षाप्रद तथ्यों का सुगम स्रोत है। सिनेमा में एक सामाजिक अभिनव परिवर्तन लाने का सामर्थ्य होता है। अतएव सामाजिक जीवन में सिनेमा का महत्व और बढ़ जाता है।
अब सिनेमा यानी चलचित्र की बातें चल पड़ी है, तो मैं एक ऐसे सिने अदाकारा का जिक्र करना चाहूँगा, जिनका आज शुभ जन्मदिवस है; और वे हैं, मशहूर फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान जी। दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रांत के चेंगलपड्डू में 3 फरवरी सन् 1938 को जन्मी वहीदा की रोजुलू मराई पहली फिल्म है, जो तमिल भाषा में बनी है। कई राष्ट्रीय फिल्म फेयर पुरस्कार, पद्मश्री, पद्मभूषण एवं दादा साहेब फाल्के जैसे पुरस्कार से नवाजी गयी वहीदा रहमान ने पचास से अधिक फिल्मों में काम किया है। उन्होंने भारतीय हिन्दी फिल्म जगत को प्यासा, कागज के फूल, प्रेम पुजारी, तीसरी कसम, चौदहवीं का चाँद, नीलकमल, राम और श्याम, खामोशी, कभी कभी, त्रिशूल, मशाल, नमक हलाल, महान जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। उनमें से अपने समय की युवा दिलों की धड़कन रही वहीदा अभिनीत फिल्म ‘गाईड’ की अपनी अलग ही पहचान है। उनके अद्भुत अभिनय सामर्थ्य से गाईड एक उत्कृष्ट फिल्म बन पड़ी है। फिल्म गाईड की वहीदा रहमान की जबरदस्त अदाकारी के जरिए मैं उनकी अभिनय क्षमता को आप सभी सुधी पाठकों के स्मृति पटल पर रखना चाहूँगा।

गाईड- एक परिचय :

सन् 1965 में बनी फिल्म गाईड की कहानी सुप्रसिद्ध भारतीय अंग्रेजी साहित्यकार श्री आर के नारायण के प्रसिद्ध उपन्यास ‘द गाईड’ पर आधारित है। फिल्म की कथावस्तु एक पुरातत्ववेत्ता रहे बेपरवाह पति (किशोर साहू), बिंदास युवक राजू गाईड (देव आनंद) एवं अनुपम रूपलावण्य तरूण नृत्यांगना रोज़ी (वहीदा रहमान) जैसे चरित्रों से गुँथी हुई है। देव आनंद निर्मित फिल्म गाइड के निर्देशक विजय आनंद हैं। शैलेन्द्र ने आज फिर जीने की तमन्ना है, गाता रहे मेरा दिल, पीया तोसे नैना लागे रे, सइंया बइमान, तेरे मेरे सपने… जैसे दस बेहतरीन गीत लिखे हैं। इन गीतों को सचिन देव बर्मन ने अपने संगीत से सँवारा है; और किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, मन्ना डे, सचिन देव बर्मन एवं लता मंगेशकर ने अपने सुरों से सजाया है। फिल्म में देव आनंद, किशोर साहू, वहीदा रहमान, लीला चिटनिस, अनवर हुसैन, मृदुला रानी जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी अहम् भूमिका निभाई है।

वहीदा का चारित्रिक न्याय :

अपनी हर फिल्म की तरह वहीदा ने गाईड में भी अपने चरित्र के साथ बखूबी न्याय किया है। फिल्म के प्रारंभ में उन्होंने एक विवश देवदासी माँ की लाचार जवान बेटी रोज़ी को एक उम्रदराज व्यक्ति मार्को के साथ ब्याहते चरित्र को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। रोज़ी के रूप में अपनी उम्र से बेमेल खाते पति मार्को के अपने साथ बिगड़ते हुए सम्बंध को वहीदा ने पर्दे पर प्रस्तुत किया है, जो काबिले-तारीफ़ है।
जब रोज़ी की मुलाकात राजू गाईड से होती है। दोनों में दोस्ती होती है। दोस्ती प्यार में बदल जाती है। फिर दोनों एक साथ रहने लगते हैं। लोगों की छींटाकशी को बर्दाश्त करती रोज़ी का वहीदा ने बहुत बढ़िया अभिनय किया है। राजू के सहयोग से रोज़ी को एक नृत्यांगना के रूप में नाम व शोहरत मिलने लगता है; रोज़ी नलिनी कहलाने लगती है। और राजू शराब के नशे में डूबने में लगता है, और फिर दोनों में दूरियाँ बढ़ने लगती है। रोज़ी अहम् और वहम् के बीच उलझ जाती है। राजू के प्रति उसका व्यवहार रूखा हो जाता है। रूठी एवं रूखी रोज़ी के चरित्र को वहीदा ने बड़े गजब तरीके से पेश किया है।
फिल्म के अंत में पश्चाताप में डूबी रोज़ी राजू को ढूँढती है। और फिर उसे एक अकालग्रस्त गाँव में राजू स्वामी जी के रूप में मिलता है। राजू मरणासन्न अवस्था में होता है। राजू के प्रति रोज़ी का हृदय सहानुभूति से भर जाता है। स्वामी जी यानी राजू हमेशा के लिए आँखें बंद कर लेता है। पश्चाताप व अपराध-बोध में डूबी रोज़ी के किरदार को वहीदा ने बखूबी निभाया है। फिल्म गाईड की रोज़ी के रूप में अपनी जबरदस्त अदाकारी के चलते वहीदा रहमान सिने प्रेमियों की पसंदीदा अदाकारा बनी।

बेहतरीन संवाद अदायगी :
बहुत ही सुंदर व नपे-तुले शब्दों से पिरोये संवाद को वहीदा ने रोज़ी के रूप में बड़े बेहतरीन तरीके से पेश किया है। चेहरे का हाव-भाव देखते ही बनता है। चाहे रोज़ी का संवाद माँ के साथ हो, चाहे पति के साथ हो, चाहे राजू के साथ हो या फिर चाहे किसी अन्य चरित्र के साथ हो , वहीदा की संवाद अदायगी में सजीवता आ गयी है। विभिन्न मुद्राओं की पाषाण प्रतिमाओं के बीच रोज़ी यानी वहीदा के पति मार्को (किशोर साहू) के साथ संवाद की बानगी देखिए।
रोज़ी- ‘मार्को…! कुछ तो फर्क होगा मुझमें, और इन पत्थरों की मुर्तियों में ?’
मार्को- ‘ये मुझे परेशान नहीं करती।’ – ‘परेशान नहीं करती, इसलिए ये कि ये पत्थर हैं, या फिर पत्थर हैं कि परेशान नहीं करते ? मेरे दिल में पत्थर रखा तुमने ? एक बार इस पत्थर में दिल रखके देखो कि एक-एक मूर्ति चिल्ला-चिल्लाकर कहेगी कि मैं जीना चाहती हूँ मार्को।’
– ‘जी नहीं रही हो तुम ?’
– ‘जी मारकर जीना है तो, मैं जी रही हूँ, लेकिन तुम्हारे पास तुम्हारा काम है, मेरे पास क्या है ?’
– ‘औरत के पास क्या हो सकती, उसका घर ?’
– ‘घर पति से होता है, घर होता है बच्चों से।’
– ‘इसमें मेरा क्या कसूर है ? यदि भगवान ही नहीं चाहता, तो मैं क्या कर सकता हूँ ?’
– ‘मैं तो तुम्हें दोष नहीं दे रही हूँ मार्को, लेकिन मैं किस उम्मीद पर जीऊँ ? दिन भर बैठ क्या सपने देखा करूँ ? रात भर जाग कर क्या सोचा करूँ ? बच्चों का सुख नहीं, तो कुछ तो आने चाहिए मेरे जीवन में…?’

वहीदा के नृत्य में संजीदगी :
अनुपम सौन्दर्य की साम्राज्ञी वहीदा रहमान ने फिल्म गाईड में एक देवदासी की बेटी रोज़ी का किरदार निभाया है। रोज़ी एक बेहतरीन नृत्यांगना है, जिसे वहीदा ने अपनी अद्भुत नृत्य क्षमता से जीवंत किया है। अपने नृत्य-कौशल से भाव-भंगिमाओं को पर्दे पर बखूबी उकेरा है। उनके नृत्य भंगिमाओं से दर्शकों की नजरें नहीं हटती। उनकी नृत्य कला में बड़ी संजीदगी है। उनकी नृत्य कला बोलती हुई प्रतीत होती है। इस फिल्म में शास्त्रीय व लोक नृत्य कला का सम्मिश्रण वहीदा को एक कुशल नृत्यांगना के रूप में स्थापित करता है। वहीदा ने अपने छरहरे बदन, सुराही आकार गले, बलखाती बेले की तरह लचकती कमर व आकर्षक नैन-नक्श़ से स्वयं पर फिल्माए गीतों में चार चांद लगा दिया है। अपने डांस परफॉर्मेंस से गीतों के भावप्रवण को बेहद आकर्षक व खुशनुमा बना दिया है। मैं अपनी ओर से वहीदा रहमान जी को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए आप सुधी पाठकों को प्रस्तुत गीत के जरिए उनकी नृत्य भंगिमाओं का स्मरण कराता हूँ।
‘मोसे छल किये जाये
हाये.. हाये.. हाये…
देखो सइंया बइमान सइंया बइमान
मोसे छल मोसे छल किये जाये
हाये.. हाये.. हाये… देखो हाँ….
सइंया बेइमान… ‘

— टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.

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