आस्था को छोड़ रीलें भी होड़ की दौड़ में
सोशल मीडिया पर रील का जो फंडा चल रहा है उसमें आस्था महाकुंभ की प्रचार में कम होती दिखाई दे रही है। 144 वर्षो बाद इस कुंभ मुहरत का आगमन होगा। अमृत स्नान करने हेतु साधु,संतो,श्रद्धालुओं का करोडो की सँख्या में स्नान लाभ का एवं दुर्लभ दर्शन का योग होता है।वही कई तरह के धार्मिक पूजन सामग्री व्यवसाय एवं खाद्य सामग्री का व्यवसाय भी अच्छा खासा चलता है इस सब के बीच महाकुंभ में यूटूबर भी रीलें बना बना बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे है। वही सौंदर्य नीली आंखों वाली लड़की का कुछ ज्यादा ही वायरल कर उसके पूजन सामग्री (माला) में बिक्री प्रभावित करने में लगे है वे खरीदारी के बजाय सौंदर्य का गुणगान कर उससे सवाल जवाब करने में व्यस्त है इसके बजाय सोशल पर जो दुर्लभ साधु संतों के बारे में जानकारी डालना चाहिए। जिससे सब अनभिज्ञ होते है वो डालना चाहिए।कई रिलो पर अंकुश भी नही है।मोबाइल में अभिनय के साथ ऐसा माहौल पैदा हुआ कि आप मोबाइल में रील देखते -देखते कब अभिनय करने वाले नंगी गालियां बकने लग जाये। इसका देखने वालों को भान नही रहता। मोबाइल की आवाज परिवार में सुनाई देती है। विकृति फैलाता ये रील के धंधे पर अंकुश की आवश्यकता है।पहले से ही युवा पीढ़ी ऑन लाइन गेम में बर्बाद हो चुकी और ऊपर से विकृत मानसिकता को बढाने वाले वीडियो भी दस्तक देने लगे है।अब तो गांव -गांव में वीडियो रील बनाने का चलन जोरो पर है।अनपढ़ भी बनाने लगे। स्वस्थ मन को खराब करती कई रीलें,अश्लील बोली,छेड़खानी,खतरनाक स्टंट,सोशल मीडिया पर कम कपड़ो में देह प्रदर्शन की सुर्खियों में आई थी। रीलें ज्ञानार्जन में उपयोगी हो बनाई जाना चाहिए। सेंसर बोर्ड इसका भी तो होगा ही ऐसी रीलों के प्रदर्शन की अनुमति नही दी जानी चाहिए।
— संजय वर्मा “दृष्टि”