कविता
ये मत सोचना तुम,
तुम्हें याद नही करते है हम..!!
सुबह की मुस्कान भरी चाय हो तुम,
दोपहर का ख्याल भरा आराम हो तुम।
मेरे ढलते हुए दिन की शाम हो तुम,
रात में सपने देखने का इंतजाम हो तुम।
तुम ही मेरी नींद – चैन,
तुम ही मेरे नैन।
इन नैनों से जो देख रहा हूं,
वों संसार हो तुम।
तुम्हे कैसे भूल जाऊं,
पहला- पहला प्यार हो तुम।
ये मत सोचना तुम,
तुम्हे याद नही करते है हम…!!
— प्रशांत अवस्थी “रावेन्द्र भैय्या”