राजनीति

महाकुंभ से निखरा हिन्दुत्व और बढ़ा योगी का सियासी कद

उत्तर प्रदेश आजकल महाकुंभमय हो रखा है। हर तरफ एक जैसा नजारा है। कोई महाकुंभ में डुबकी लगाकर अपने आप में धन्य महसूस कर रहा है तो कोई डुबकी लगाने के लिये आतुर है, जिसको जैसा मौका मिल रहा है वह उस हिसाब से संगम नगरी प्रयागराज की तरफ प्रस्थान कर रहा है। प्रयागराज में साधू-संतो का तो जमावाड़ा है ही यहा पहुंचनें वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है,जो श्रद्धालू महाकुंभ पहुंचते हैं वह वाराणसी में बाबा विश्वनाथ और अयोध्या में रामलला के दर्शन करने का भी पुण्य कमा लेने का मौका नहीं छोड़ते हैं। महाकुंभ के अंतिम स्नान तक प्रदेश की आबादी से दोगुना श्रद्धालु प्रयागराज पहंुच चुके होंगे। यह विश्व रिकार्ड है,जो यदि कभी टूटेगा भी तो किसी कुंभ में ही टूटेगा। हाल यह है महाकुंभ की व्यवस्था देखने और इस आयोजन को शांतिपूवर्क सम्पन्न कराने के लिये योगी सरकार और शासन-प्रशासन सब के सब एक पैर पर खड़े नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो महाकुंभ परिक्षेत्र में पत्ता भी हिलता है तो एलर्ट मोड में आ जाते हैं। योगी की तो पूरी की पूरी कैबिनेट ही प्रयागराज पहुंच जाती है। सबसे खास बात यह है कि जितने भी श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं,वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अधिक मुख्यमंत्री की तारीफ कर रहे हैं,जिसके राजनैतिक निहितार्थ भी कम नहीं हैं। आज की तारीख में हिंदुत्व के नजरिये से योगी बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेता बन गये हैं। इस मामले में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी तक को पीछे छोड़ दिया है। सफल महाकुंभ में आग लगने की घटना और सबसे बड़े मौनी अमस्या के अमृत स्नान के दिन मची भगदड़ में करीब दस श्रद्धालुओं की मौत की घटना से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यथित भी दिखे,लेकिन जल्द ही सब कुछ सुचारू कर लिया गया और साधू संतों से लेकर आम श्रद्धालु तक आराम से स्नान करते दिखे।
महाकुंभ का मोह और इस दौरान संगम मंे डुबकी लगाने के लिये वह लोग तो व्याकुल हैं ही जो सनातन धर्म का पालन करते हैं,लेकिन इसके अलावा भी पूरी दुनिया से लोग महाकुंभ के आकर्षण में प्रयागराज खिचे चले आ रहे हैं। यह लोग सनातन के बारे में अधिक से अधिक जानने को व्याकुल हैं। सबसे खास बात यह है कि महाकुंभ की आस्था अखिलेश यादव जैसे उन नेताओं को भी यहां खींच लाई है जिनका योगी और बीजेपी से छत्तीस का आकड़ा रहता है,लेकिन इस मौके पर भी अखिलेश राजनीतिक बातें करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि यह बड़ा आयोजन है। हमें याद है कि जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब हमें कुंभ कराने का मौका मिला था। तब हमने कम संसाधन में इसे बेहतर तरीके से कराया था। यह बात तमाम स्टडी कहती हैं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भी कहती है।अपनी सरकार के समय सफल कुंभ का दावा करते हुए अखिलेश ने पूर्व नगर विकास मंत्री और 2013 में कुंभ के आयोजन की जिम्मेदारी संभालने वाले आजम खान की तारीफ भी की। अखिलेश ने कहा उन्होंने काफी सीमित संसाधनों के सहारे कुंभ का यादगार बनाया था। वहीं अखिलेश के संगम स्नान करने पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव देर आए दुरुस्त आए। हरिद्वार में गंगा स्नान और महाकुंभ स्नान के बाद उम्मीद है कि अब आस्था को चोट पहुंचाने वाले बयानों से बचेंगे। केशव ने कहा कि महाकुंभ की विशेषता अनेकता में एकता है। जो सपाई और कांग्रेसी अब भी महाकुंभ को लेकर मानसिक और दृष्टि दोष से ग्रसित हैं। वे इलाज कराएं या न कराएं पर महाकुंभ स्नान जरूर करें। इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। ओपी राजभर ने कहा कि कल तक कुंभ की निंदा करने वाले लोग आज कुंभ में जा रहे हैं। यह संविधान की देन है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने तो महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद यहां की व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला वहीं कांग्रेस ने तो महाकुंभ पर ही प्रश्न चिंह खड़ा कर दिया। औसत प्रतिदिन जब महाकुंभ में करीब 95 लाख लोग आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. तब प्रयागराज से 925 किमी दूर, मध्य प्रदेश के महू यानी संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर की जन्मस्थली पर कांग्रेस की ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली‘ में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यहां तक कह दिया,‘गंगा में डुबकी लगाने से क्या गरीबी दूर होती है, क्या भरपेट खाना मिलता है।’ इस पर बुद्धीजीवियों का कहना है कि कांग्रेस को न तो हिन्दू धर्म रास आता है न यही दिखता है कि महाकंुभ से कैसे रोजगारों का सृजन हो रहा है। ऐसा लगता है कि गैर बीजेपी दलों के नेताओं को डर सता रहा है कि महाकुंभ के चलते कहीं उनकी हिन्दुओं को बांटों और राज करो वाली मुहिम को झटका नहीं लग जाये। महापुरूषों की जन्मस्थली प्रयागराज में आजकल सिर्फ और सिर्फ हिन्दुत्व ही नजर आ रहा है। यहां न कोई अगड़ा है और न कोई पिछड़ा या दलित।
बात खड़गे के महाकुंभ से लोगों के पेट नहीं भरने वाले बयान की कि जाये तो इसका जबाव सीएम योगी आदित्यनाथ से बेहतर कौन दे सकता है,जबकि योगी पहले ही कह चुके हैं कि एक पर्यटक या श्रद्धालु जब यूपी आता है तो ट्रेन, बस, टैक्सी या प्लेन का उपयोग करता है। होटल, टेंट या धर्मशाला में रुकता है। होटल, रेस्टोरेंट या ढाबे पर खाना खाता है, कुछ खरीदारी भी करता है। इस तरह वह औसतन पांच हजार रुपये खर्च करता है। प्रयागराज महाकुंभ मेला में 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। ऐसे में देश-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अकेले महाकुंभ दो लाख करोड़ रुपये का योगदान देगा। महाकुंभ आस्था, आधुनिकता और स्वच्छता का मॉडल बनेगा।
खैर, बात बीजेपी के भीतर की कि जाये तो महाकुंभ का भव्य आयोजन करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सबसे बड़े हिन्दुत्व वाले पोस्टर मैन बन गये हैं। योगी के खिलाफ पार्टी के अंदर यदाकदा जो विरोध के स्वर सुनाई पड़ते थे,वह भी फिलहाल ठंडे पड़ गये हैं।योगी की जो तस्वीर उभर रही है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि 2017 वाले योगी जी 2025 में काफी बदल चुके हैं। 2017 में भले ही योगी को मोदी और शाह की मेहरबानी से सीएम की कुर्सी पर बैठाया गया था,लेकिन अब योगी को ‘हाथ’ लगाना किसी के बस की बात नहीं है। 2017 के विधान सभा चुनाव से पूर्व तक जो बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे,वह अब योगी से काफी पीछे खिसक गये हैं। केशव ने भी देर से ही सही (2022 के विधान सभा चुनाव के बाद) योगी को अपना नेता मान लिया है। अब वह विरोध की भाषा नहीं बोलते हैं। 2027 के यूपी विधान सभा चुनाव भी संभवता योगी के नेतृत्व में ही लड़ा जायेगा। ऐसा इसलिये भी है क्योंकि आज भी योगी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहली पसंद हैं।कुछ लोग तो 2029 के आम चुनाव में योगी को पीएम के फेस के रूप में भी देख रहे हैं। यही योगी की सियासी पूंजी है।

मोदी कैबिनेट के दिग्गज मंत्री भी महाकुंभ में डुबकी लगाने के बाद कसीदे पढ़ते नजर आये। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,गृह मंत्री अमित शाह महाकुंभ में सपरिवार स्नान कर चुके हैं। दस फरवरी को राष्ट्रपति और पांच फरवरी को प्रधानमंत्री के महाकुंभ आने का प्रोग्राम है।

— अजय कुमार, लखनऊ

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