वेदना
पहाड़ अपनी वेदना किसे बताए
वो बता नहीं पा रहा पेड़ का दर्द
लोग समझेंगे बेवजह राई का पर्वत
पहाड़ ने पेड़ो की पत्तियों को समझाया
मै हूँ तो तुम हो
तुम ही तो कर रही वसंत का अभिवादन
गिरी नहीं तुम बिछ गई हो
और आने वाली नव कोपलें जो है तुम्हारी वंशज
कर रही वसंत के आने इंतजार।
— संजय वर्मा “दृष्टि”