शादी की भेंट चढ़ता प्रतिभावान महिलाओं का कैरियर
आज शादी के बाद लड़कियों से पहले जैसी अपेक्षाएं नहीं रखी जातीं लेकिन कुछ महिलाएं आज भी ससुराल में जद्दोजहद करती हुई पाई जाती हैं। शादी के बाद लड़कियों पर जिम्मेदारी होती है कि वे सास-ससुर की सेवा करें। उनको खुश रखें। रिश्तेदारों के साथ निभाने की जिम्मेदारी भी उन पर ही होती है। इससे उनका काम कई गुना बढ़ जाता है। जो लड़कियां शादी के बाद नौकरी करती भी हैं तो उनको पहले से तीन गुना काम करना पड़ता है। उस समय वो जवान होती हैं, उनका शरीर अच्छे से काम करता है इसलिए हर जिम्मेदारी निभाती रहती हैं लेकिन चालीस की उम्र के बाद उनको कई शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं। परिवार का साथ नहीं मिलता तो पचास की उम्र तक आते-आते उनको अपने कैरियर का त्याग करना पड़ता है क्योंकि अपनी शारीरिक परेशानियों की वजह से वो तनाव में रहने लगती हैं। जिसका असर ऑफिस में उनके काम पर पड़ने लगता है। जितना काम वो पहले कर रही होती हैं, उतना नहीं कर पातीं। जाहिर है, इससे कंपनी को परेशानी होगी ही । बार-बार छुट्टियां करने से भी कंपनी को उनसे दिक्कत होने लगती है। इन दिक्कतों के चलते कुछ लड़कियों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है। डिटेक्टिव गुरु राहुल राय गुप्ता कहते हैं, हाल ही में हमने अतुल सुभाष का केस देखा। इंटरनेट पर पत्नी पीड़ितों की बाढ़ आ गई। हर कोई महिलाओं को दोषी ठहरा रहा है। मैंने भी इस पर कई बार बात की है और तीखी प्रतिक्रिया दी है लेकिन मैं अपने आसपास कई ऐसी महिलाएं भी देखता हूं, जो बहुत प्रतिभाशाली हैं, बहुत कुछ करने की ताकत रखती हैं लेकिन शादी के बाद उनकी वो ताकत कहीं खो जाती है। पूरे घर परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ जाती है। हमने कभी नहीं सुना कि शादी के बाद किसी लड़के को अपने कैरियर का त्याग करना पड़ा। आजकल एक-दो मिसाल ऐसी सुनने को जरूर मिलती है कि पत्नी के साथ रहने के लिए पति ने अपना ट्रांसफर करवा लिया या जहां पत्नी का ट्रांसफर हुआ, वहां उसके साथ जाने के लिए पति ने अपनी नौकरी छोड़ दी। इन मिसालों को छोड़कर ज्यादातर केसेज में लड़कियों को ही अपने कैरियर का बलिदान देना पड़ता है। मेरे पास ऐसे कितने ही केस आते हैं, जहां बड़ी पोस्ट पर होने के बावजूद लड़कियों के साथ बदसलूकी होती है। वो अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहती हैं और पति का अफेयर कहीं और चल रहा होता है। फिर भी पति, सास-ससुर, यहां तक कि उसके अपने पेरेंट्स, उसे ही महत्वाकांक्षी बताकर कटघरे में खड़ा कर देते हैं।
कब बदलेगी हमारी सोच आज लड़कियां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं। बड़े-बड़े पदों पर हैं लेकिन फिर भी कुछ लोगों की सोच नहीं बदली है। वो लड़कियों को कमतर ही समझते हैं। घर में लड़की पैदा होने पर मातम मनाते हैं। कम लोग हैं, जिनके घर में बेटी के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं। बेल बजाए जाते हैं। मिठाईयां बांटी जाती हैं। कई घरों में आज भी केवल लड़कियों को ही घरेलू काम सिखाए जाते हैं। उनको बताया जाता है कि वो पढ़ाई न करके रसोई का काम करें। आखिर में वही उनके काम आएगा। कुछ घरों में कई पीढ़ियों तक यही सब चलता रहता है। लड़कियों को अपना टैलेंट दिखाने का मौका तक नहीं दिया जाता। ऐसा समाज की गली सड़ी सोच के कारण ही होता है। केवल ससुराल वाले ही नहीं, लड़की के पेरेंट्स और भाई-बहन भी यही सोचते हैं कि ससुराल में जाकर उसे काम तो करना ही पड़ेगा। ये तो उसकी ड्यूटी है। इसी पुरानी सोच के कारण ही बहुत-सी लड़कियां हार मान लेती हैं। वो पहले पेरेंट्स से और बाद मैं ससुराल वालों से लड़ते-लड़ते थक जाती हैं। फिर एक दिन ऐसा आता है कि वो खुद को उसी माहौल में ढाल लेती हैं। घर में रहकर सारी जिम्मेदारियां निभाते हुए जिंदगी गुजारती हैं।
इसमें कोई बुरी बात नहीं है लेकिन ऐसा उनकी मर्जी से होना चाहिए। फेमस टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ ने अपनी मर्जी से टीवी का कैरियर छोड़ा और घर पर रहने लगीं। उन्होंने बिग बॉस का शो भी जीता था। वो घर पर रहकर ही अपने ब्लॉग बनाती हैं। उनको एड भी मिलते हैं। तो ये कह सकते हैं कि वो घर से काम कर रही हैं, अपनी मर्जी से, अपनी खुशी से लेकिन उनको ऐसी कितनी ही कमेंट्स मिलती हैं कि उन्होंने अपना बुरा हाल बना रखा है। उसके पति शोएब को लोग कहते हैं कि इतनी अच्छी और प्रतिभावान एक्ट्रेस को नौकरानी बना दिया है। कितनी बार दीपिका और शोएब को इसका जवाब देना पड़ता है क्योंकि इतने जहरीले कमेंट पढ़कर उनको लगता है कि लोगों को जवाब दिया जाए। दीपिका ने अपने कई इंटरव्यूज में बताया भी है कि वो हमेशा से ही हाउसमेकर बनना चाहती थी। लेकिन वो हाउसमेकर के साथ-साथ बिजनेसवूमैन भी है, जो घर संभालते हुए अच्छा-खासा पैसा कमा रही हैं। बीच-बीच में गाने भी करती हैं। ये उनकी मर्जी है कि वो काम करने का क्या तरीका चुनें। हमारे समाज में इसी तरह का दोगलापन है। इसी सोच के कारण लड़कियों को अपना बहुत कुछ खोना पड़ता है। चाहिए पूरे समाज का साथ लड़कियों को शादी के बाद अपने कैरियर का त्याग न करना पड़े, इसके लिए पूरे समाज को आगे आना होगा। अगर हर घर में लड़के भी घरेलू कामों में बराबर का सहयोग दें तो लड़कियों का जीवन काफी हद तक सुधर सकता है क्योंकि जब लड़के काम करेंगे तो जब वो पति बनेंगे तो घर का काम केवल पत्नी पर नहीं छोड़ेंगे। पत्नी को केवल इसलिए अपने कैरियर के साथ समझौता नहीं करना पड़ेगा कि उसे घर का काम करना है। घर संभालना है। जब घरों में लड़के- लड़की के अंतर को खत्म किया जाएगा तो आने वाली पीढ़ी खुशहाल बनेगी। लड़कों के अंदर मेल ईगो पैदा ही नहीं होगा। लड़कियां अपनी प्रतिभा का पूरा फायदा ले पाएंगी। घर का काम पति-पत्नी दोनों मिलकर करेंगे। पेरेंट्स को अस्पताल लेकर जाने, उनके बाकी काम करने की जिम्मेदारी दोनों की होगी। रिश्तेदारों के साथ निभाने की जिम्मेदारी दोनों की होगी। सोशल सर्कल से डील करने की जिम्मेदारी दोनों की होगी । त्यौहार मनाने के लिए जो तैयारियां करनी पड़ती हैं, उसकी जिम्मेदारी दोनों की होगी।
इससे पत्नी पर काम का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और वो अपना काम अच्छे से कर पाएगी। ऑफिस समय पर पहुंचेगी, उसकी परफॉर्मेंस अच्छी होगी। प्रमोशन भी मिलेगा। वो खुश रहेगी तो स्वस्थ रहेगी। उसे तनाव नहीं होगा। उसका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। घर का माहौल खुशियों भरा होगा। इससे आने वाली पीढ़ी पर भी सकारात्मक असर होगा। आसपास के लोगों पर भी इसका असर पड़ेगा। आपकी खुशी को देखकर उनको भी लगेगा कि पति पत्नी को मिलकर घर चलाना चाहिए। इसी से समाज में बदलाव आएगा।
— विजय गर्ग