राख में छुपी है जीवाणुओं को मारने की शक्ति
भस्म अर्थात राख के चिकित्सीय गुणधर्म और वैज्ञानिकता को नई मान्यता मिली है । राख के कई तरह के इस्तेमाल होते हैं। राख का इस्तेमाल खदानों के पुनरुद्धार, मिट्टी सुधार, बर्तन साफ करने, कीटनाशक और साबुन बनाने में किया जाता है। राख में शरीर के अंदर मौजूद दुषित द्रव्य को सोख लेने की क्षमता होती है। राख से कई तरह के चर्म रोग भी खत्म हो जाते हैं। राख को घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। राख को घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के भौतिकी विभाग के शोध में पता चला है कि राख की क्षारीय प्रकृति स्टैफिलोकोकस आरियस और ईकोलाई जैसे पेट और हड्डी में संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं को रोक सकती है।
प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा और शोधार्थी अभिषेक शर्मा का शौध दक्षिण कोरिया के एडवांसेस इन नैनो रिसर्च और भारतीय अंतरराष्ट्रीय जर्नल नैनो मैटेरियल्स में प्रकाशित किया गया है। दोनों देशों में शोध को पेटेंट भी मिला है। इससे जलजनित बीमारियों के नियंत्रण की राह खुलेगी।
गन्ने की खोई की राख सर्वाधिक प्रभावी : दक्षिण कोरिया और भारत में 25 पीएचडी- मास्टर प्रोजेक्ट के आब्जर्वर रह चुके प्रोफेसर शर्मा के शोध में पुष्ट हुआ है कि कृषि या खाद्य अपशिष्ट जैसे चावल की भूसी, गन्ने की खोई और खट्टे फलों के छिलकों से बनी राख में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। शोध में किसी रसायन का प्रयोग नहीं किया गया। तीन तरह के पदार्थों की राख में सर्वाधिक प्रभावकारी गन्ने की खोई की राख साबित हुई है। राख को सामान्य मनुष्य के शरीर के तापमान यानी 37 डिग्री पर बैक्टेरिया के साथ रखने से छह घंटे में सभी बैक्टीरिया निष्क्रिय हो गए।
वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार राख से स्टैफिलोकोकस आरियस नामक बैक्टीरिया का संक्रमण रोकने में 85 और ईकोलाई बैक्टीरिया रोकने में 78 प्रतिशत सफलता मिली। इससे जलजनित बीमारियों में संभावित कमी आ सकती है। राख में पाए 60 प्रतिशत सिलिका, 15 प्रतिशत कैल्शियम आक्साइड और 10 प्रतिशत पोटैशियम होता है। नैनोमैटेरियल के रूप में राख के प्रयोग से बैक्टीरिया रोका जा सकता है।
— विजय गर्ग