गीत – ओम
ओम नाम में समाया ये व्योम है,
हर तरफ गूंज रही ध्वनि ओम है
ओम सत्य ओम शिव-सुंदरम है,
ओम नाम में समाया ये व्योम है
ओम दुख का विनाशक,
ओम है वरदायक,
ओम आरंभ कर्ता,
ओम सृष्टि का पालक,
काशी-शंभू तुझे सिमरे रोम-रोम है
ओम नाम में समाया ये व्योम है।
मृग छाल धरने वाला,
सबकी झोली भरने वाला,
महाकाल नाम जिनका,
रूद्र विद्या हरने वाला
सोमनाथ विष पिए बाँटे सोम है
ओम नाम में समाया ये व्योम है।
ओम जप ओम तप,
ओम ही तो है सब,
ओम आदि ओम अंत,
ओम व्याप्त है अनंत,
न तेरी जाति, न ही तेरी कोई कौम है,
ओम नाम में समाया ये व्योम है।
हर तरफ गूंज रही ध्वनि ओम है
ओम सत्य ओम शिव सुंदरम है,
ओम नाम में समाया ये व्योम है
— भावना अरोड़ा मिलन’