श्री लंका में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार
श्री लंका के ज़्यादातर लोगों की मातृभाषा सिंहली नहीं तो तमिल हैं I हालांकि, श्री लंका में मुसलमान अक्सर उर्दू का प्रयोग करते हैं, जो भारतीय भाषाओँ के करीब है I यहाँ हिंदी भाषा का प्रयोग व्यापक रूप में तो बिलकुल नहीं होता I फिर भी इधर हिंदी भाषा प्रेमी, बोलीवुड सिनेमा और हिंदी गीत के प्रेमी होते हैं I इनकी वजह से ही श्री लंका में हिंदी लोकप्रिय भाषा बन चुकी है I
भारत सरकार के साथ-साथ इसके अंतर्गत कई प्रकार के संस्थान श्री लंका में हिंदी भाषा के प्रचार का समर्थन करते आ रहे हैं I इनमें से मुख्य योगदान भारत का उच्चायोग संस्थान ले रहे हैं I अर्थात कोलंबो, कैंडी, हंबंतोट और जाफ़ना में स्थित भारत के उच्चायोग संस्थान, भारतीय सांस्कृतिक केंद्र आदि श्री लंका और हिंदी भाषा के बीच का पुल बन चुका है I
इनमें से प्रतिवर्ष श्री लंका में हिंदी भाषा पाठ्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं I ख़ासकर भारत के मद्रास में स्थापित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के द्वारा संचालित हिंदी प्राथमिक, मध्यमा, राष्ट्रभाषा, प्रवेशिका, विशारद पूर्वार्ध, विशारद उत्तरार्ध, प्रवीण पूर्वार्ध और प्रवीण उत्तरार्ध तक आठ हिंदी पाठ्यक्रम और भारत के आगरा में स्थापित केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा संचालित हिदी भाषा दक्षता प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा पाठ्यक्रम, उच्च डिप्लोमा पाठ्यक्रम, स्नातकोत्तर हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम तक चार पाठ्यक्रम चलाते हैं I हर साल में इन हिंदी परीक्षाओं में लगभग १००० छात्र भाग लेते हैं I इन परीक्षाओं में भाग लेने से छात्रों की हिंदी भाषा और भारत की संस्कृति के प्रति ज्ञान और लगाव बढ़ते जा रहे हैं I
इन संस्थाओं से हर साल में भारत की छात्रवृत्तियाँ भी छात्रों को प्रदान करते हैं I प्रतिवर्ष आगरा केंद्रीय हिंदी संस्थान के लिए आठ महीने के लगभग १० – २० के बीच की छात्रवृत्तियाँ मिलती हैं I UNDERGRADUATE के लिए हर क्षेत्र से लगभग ६० छात्रवृत्ति, मास्टर के लिए लगभग ५० छात्रवृत्ति और पीएचडी के लिए लगभग १५ छात्रवृत्ति मिलती हैं I यह तो श्री लंकीय छात्रों को एक वरदान जैसा है I भारत सरकार के कृपा से श्री लंकीय छात्रों की हिंदी भाषा ज्ञान बढ़ाने के लिए देनेवाली छात्रवृत्तियाँ बहुत फ़ायदेमंद होते हैं I केवल छात्रों के लिए ही नहीं, श्री लंकीय सरकारी कर्मचारियों के लिए भारतीय प्रोद्योगिकी और सामाजिक विकास कोष द्वारा (ITEC) छात्रवृत्तियाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए मिलती हैं I छात्रवृत्ति पाने की चाह के कारण भी यहाँ के ज़्यादातर छात्र हिंदी भाषा पढ़ने अधिक रुचि रखते हैं I
इन संस्थाओं में से हर साल “हिंदी भाषा दिन” के अवसर पर अनेक प्रतियोगिताएँ आयोजन करते हैं और भाग लेने वाले सभी छात्रों को प्रोत्साहन बढ़ाने हेतु प्रमाण पत्र के साथ-साथ धन राशी भी दिये जाते हैं I ऐसी प्रतियोगिताओं की वजह से छात्रों की भाषा का लगन और भी बढ़ जाता है I
इतना ही नहीं इन संस्थाओं में से कलात्मक सांस्कृतिक कार्यक्रम, हिंदी भाषा प्रशिक्षण संगोष्ठी भी आयोजन करते हैं I ऐसे कार्यक्रमों की वजह से श्री लंकीय छात्रों के केवल भाषा ज्ञान ही नहीं, उनकी कला कौशल्य भी बढ़ते जाते हैं I
श्री लंका में हिंदी भाषा प्रचार-प्रसार करने के लिए केवल पहले बताये गये संस्थाएँ ही नहीं, यहाँ के विश्वविद्यालय, स्कूल और हिंदी की कक्षाओं का योगदान भी सराहनीय हैं I श्री लंका के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा विशेष उपाधि, हिंदी भाषा सामान्य उपाधि के लिए पाठ्यक्रम और हिंदी प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी चलाते हैं I यहाँ के विश्वव्द्यालयों के गुरु जनों से प्राप्त हिंदी भाषा ज्ञान की वजह से ही हम सभी आज यहाँ उपस्थित हैं और देश-विदेश में हिंदी भाषा से संबंधित हर क्षेत्र में कार्यरत हैं I
अभी ज़्यादातर स्कूलों में उच्च शिक्षा यानी ADVANSED LEVEL और ORDINARY LEVEL के लिए भी हिंदी सिखाते हैं I श्री लंका के कई ज़िलों में भी हिंदी भाषा की कक्षाएँ चलती हैं I विशेषतः कोलंबो में श्री लंका हिंदी निकेतन, कुरुनैगल में हिंदी संस्थान, गोल शहर में मेरी रुहुणु भाषा विद्यापीठ आदि I क्षमा चाहती हूँ, इस अवसर पर मेरी रुहुणु भाषा विद्यापीठ के बारे में भी कुछ बताना चाहती हूँ I रुहुणु भाषा विद्यापीठ, महात्मा गाँधी द्वारा १९४२ में स्थापित हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के तत्वावधान में प्रतिवर्ष विभिन्न कार्यक्रम चला आ रहे हैं और उम्र की मुताबिक़ बताते तो लगभग छः आयु से अस्सी-नब्बे उम्र तक की आयु के छात्र हिंदी सीखते आ रहे हैं I
यहाँ के दूरदर्शन में बोलीवुड सिनेमा, हिंदी गीत और टेलीड्रामा चलते हैं, FM रेडियो चैनल और YOUTUBE चैनल भी श्री लंका में हिंदी भाषा को लोकप्रियता प्रदान करते आ रहे हैं और हिंदी भाषा को सशक्त रूप में आगे बढ़ाने के लिए ये सब संस्थाएँ, विश्वविद्यालय, स्कूल, कक्षाएँ और यहाँ के गुरु जन सशक्त प्रयास करते आ रहे हैं और आगे भी करेंगे I
जय हिन्द!
— डब्लिव.के. नॉसिका यसन्ति
बाह्य प्रवक्ता, रुहुणु विश्वविद्यालय
हिंदी प्रशिक्षक, हंबंतोट भारतीय वाणिज्य दूतावास